भारतीय टेलीकॉम उद्योग के लिए यह साल एक डरावने सपने की तरह रहा और गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने जीएसटी परिषद द्वारा इन दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के 36,000 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड के अनुरोध को अस्वीकार करने की बात कहकर इसे और बदतर बना दिया है। उनकी घोषणा ने पहले से ही संघर्ष कर रही दूरसंचार कंपनियों की किसी भी वित्तीय राहत की उम्मीद को धराशायी कर दिया है।
सुशील कुमार मोदी, जो बिहार के उपमुख्यमंत्री भी हैं, ने कहा, "जीएसटी परिषद ने इस मुद्दे पर विचार नहीं किया है और अगर यह विचार के लिए आता भी है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। और इतनी बड़ी राशि के रिफंड का तो कोई सवाल नहीं है।" दूरसंचार सेवा प्रदाता लगातार केंद्र सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस करने या अपने वैधानिक बकाये के सापेक्ष इस राशि को समायोजित करने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लेकिन सुशिल मोदी की हालिया टिप्पणी ने हवा के रुख को साफ कर दिया कि सरकार टेलीकॉम कंपनियों को कोई राहत नहीं देगी।
आर्थिक दैनिक द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने लगभग 36,000 करोड़ रुपये के कर वापसी का अनुरोध किया है। रिलायंस जियो इंफोकॉम का इनपुट टैक्स क्रेडिट लगभग 18,000 करोड़ रुपये, भारती एयरटेल का करीब 10,000 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया का 8,000 करोड़ रुपये है। यह टेलिकॉम सर्विसेज उपलब्ध कराने के लिए इस्तेमाल किए गए इक्विपमेंट जैसे इनपुट पर चुकाए गए टैक्स के रिफंड के लिए है।
गौरतलब है कि इस रिफंड से पहले से हो बीते कुछ वर्षों से गलाकाट प्रतियोगिता के चलते जबरदस्त घाटा झेल रही टेलीकॉम कंपनियों को काफी आर्थिक मदद मिलती क्योंकि इस होड़ के चलते भारत में मूल्य निर्धारण विश्व में सबसे निचले स्तर पर है।
इसके अलावा, समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की परिभाषा पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने भी भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर 89,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ भी डाला है। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार, एजीआर की परिभाषा को लेकर कानूनी विवाद के कारण बकाया लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज का भुगतान जनवरी में किया जाना है। इस बकाया रकम के बदले इनपुट टैक्स क्रेडिट के अडजस्ट होने से वित्तीय मुश्किलों से जूझ रही टेलिकॉम कंपनियों को मदद मिल सकती थी।
टेलिकॉम कंपनियों ने वित्त मंत्रालय और जीएसटी काउंसिल के सामने अपने इस निवेदन को रखने के लिए टेलिकॉम डिपार्टमेंट से कहा था। जीएसटी से जुड़े मामलों पर फैसले लेने वाली जीएसटी काउंसिल नोडल एजेंसी है। वित्त मंत्रालय के साथ बजट से पहले की मीटिंग में भी टेलिकॉम कंपनियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड की मांग उठाई थी। मोदी का कहना है कि जीएसटी काउंसिल ऐसे किसी निवेदन को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने बताया, 'इस पर कोई विचार विमर्श नहीं हुआ है। जीएसटी काउंसिल ऐसे निवेदन को नहीं मानेगी।'