प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 14 मई को एक बार फिर अपने मंत्रीमंडल का पुर्नगठन किया जिसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को स्मृति ईरानी के हाथों से लेकर राज्यवर्धन सिंह राठौर को सौंप दिया गया. ईरानी अब वस्त्र मंत्रालय का प्रभार संभालेंगी.
हालांकि इस बदलाव की सुगबुगाहट तभी से होनेी शुरू हो गई थी जब ईरानी ने कान की अपनी यात्रा को रद्द कर दिया था जहां वे इस मशहूर फिल्म महोत्सव में आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमडल का नेतृत्व करने वाली थीं.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी का कार्यकारल प्रारंभ से ही विवादों और गलतफहमियों से भरा रहा. उनका यह छोटा सा कार्यकाल भी उनके मानव संसाधन विकास मंत्री के तौर पर गुजारे गए समय जैसा ही रहा जहां उनके बयान और नीतिया विरोधियों के निशाने पर ही रहे.
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विवाद
स्मृति ईरानी के सुर्खियों में रहने का सबसे हालिया मामला कुछ ही दिनों पहले हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों को लेकर हुए विवाद का है. उन्हें उस समय काफी विरोध का सामना करना पड़ा जब इस वर्ष राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 125 लोगों में से सिर्फ 11 को ही अपने हाथों से पुरस्कार दिया और उनके मंत्रालय का बयान आया कि ऐसा ऐन समय पर राष्ट्रपति भवन द्वारा कार्यक्रम में बदलाव कर देने के चलते हुआ. हालांकि उनके मंत्रालय की किरकिरी करते हुए राष्ट्रपति भवन द्वारा स्पष्ट किया गया कि उनकी तरफ से ऐसा कोई बदलाव नहीं किया गया और यह दावा सही नहीं है.
फर्जी खबरों और डिजिटल मीडिया पर नजर रखना
इससे पहले पूर्व मानव विकास संसाधन मंत्री ''फर्जी खबरों'' को लेकर अपने एक आदेश के चलते विवादों में रहीं. इस आदेश में कहा गया था कि किसी भी फर्जी खबर को प्रचारित करने वाला पत्रकार शिकायत मिलते ही अपनी मान्यता से हाथ धो बैठेगा.
हालांकि पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया लेकिन मत्रालय ने एक कदम आगे जाते हुए कहा कि डिजिटल मीडिया को लेकर नियमों को तैयार किया जा रहा है जिसके चलते प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा आने की संभावना जाग गई.
डीडी एयर के कर्मचारियों का वेतन प्रसार भारती द्वारा दिया जाना
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक बार फिर तब सुर्खियों में आया जब खुलासा हुआ कि उन्होंने एआईआर और डीडी के कमचारियों का वेतन नहीं दिया है और प्रसार भारती को ऐसा करने के लिये सामने आना पड़ा. हालांकि पहले यह कहा गया कि अंर्तराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के भुगतान को लेकर मंत्रालय और प्रसार भारती के मध्य कुछ विवाद था लेकिन बाद में ईरानी ने स्पष्ट किया कि पेपरवर्क में हुई देरी के चलते वेतन नहीं दिया जा सका है.
इसके अलावा देश के सार्वजनिक सेवा प्रसारक के संपादकों के लिये सिद्धार्थ जराबी और अभिजीत मजूमदार के नाम सुझाए जाने को लेकर भी उनके प्रसार भारती के साथ विवाद हुए थे. हालांकि प्रसार भारती ने उनके द्वारा सुझाए गए इन नामों को रद्द कर दिया था.
टीवी चैनल और विज्ञापनों का समय
प्राईम टाइम में कंडोम के विज्ञापनों को प्रसारित न करने के आदेश देने के चलते भी ईरानी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. उन्होंने चैनलों से माग की थी कि वे शाम 6 से रात 10 बजे के बीच इन विज्ञापनों का प्रसारण न करें क्योंकि उनकी नजर में यह विज्ञापन ''विशेष रूप से बच्चों के लिये अश्लील हैं और वे उनके बीच अस्वस्थ्यकर आदतों को पैदा कर सकते हैं.''
उन्होंने लिखा, ''उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए सभी टीवी चैनलों को सलाह दी जाती है कि वे एक विशेष आयु वर्ष के दर्शकों को ध्यान में रखकर तैयार किये गए कंडोम के विज्ञापनों को प्रसारित न करें क्योंकि ये बच्चों के लिये अनुचित/अभद्र हो सकते हैं. सभी विज्ञापनों में अभद्र, अश्लील, विचारोत्तेजक, प्रतिकूल या आक्रामक विषयों या प्रस्तुति से बचा जाना चाहिये.''