भारत के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बैंक की पासबुक पर लगे डिपॉजिट बीमा के स्टैंप के बारे में स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि आरबीआई ने 22 जुलाई, 2017 को सर्कुलर जारी किया था, जिसका पालन किया जा रहा है। बैंक ने आगे कहा है कि यह सर्कुलर नया नहीं है बल्कि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGIC) के नियमों के तहत यह नियम सभी बैंकों पर लागू है।
जिस स्टैंप का फोटो वायरल हो रहा है, उसमें लिखा है कि बैंक में जमा राशि DICGIC से बीमित है और अगर बैंक दिवालिया होता है तो फिर DICGIC प्रत्येक जमाकर्ता को पैसा देने के लिए दिवालिया शोधक के जरिए बाध्यकारी है। ऐसे में ग्राहकों को केवल एक लाख रुपये दो महीने के अंदर में मिलेगा, जिस तारीख को उस ग्राहक ने क्लेम फाइल किया हो।
इस मैसेज के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर एचडीएफसी बैंक को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं बैंक के ग्राहकों की भी चिंता बढ़ गई है। इन परिस्थितियों में अब एचडीएफसी बैंक की सफाई आई है।
#ImportantClarification
— Neeraj Jha (@NeerajHDFCBank) 17 October 2019
महत्त्वपूर्ण स्पष्टिकरण।
Whatsapp एवं Social Media पर प्रेषित पासबुक की छायाप्रति, जिसके कारण कुछ लोगों में भ्रांति है, उसके संबंध में हम बताना चाहते हैं कि यह जानकारी 22 जून, 2017 को आरबीआई द्वारा जारी किए गए निर्देशपत्र के तहत दी गई है, (१/३)
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंक ने कहा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 22 जून, 2017 को एक अधिसूचना द्वारा सभी बैंकों को निर्देश दिया कि वे आरबीआई के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की जमा बीमा योजना के बारे में अपने सभी उपभोक्ताओं को सूचित करें।
An IMPORTANT CLARIFICATION w.r.t. a passbook image circulating on whatsapp and social media.
— Neeraj Jha (@NeerajHDFCBank) 16 October 2019
Link: https://t.co/nT9Wu9acya pic.twitter.com/K1EjbRK3sJ
एचडीएफसी बैंक ने अपने स्पष्टीकरण के लिखा: "यह जमा बीमा कवर के बारे में जानकारी से संबंधित है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जानकारी आरबीआई के दिनांक 22, 2017 के सर्कुलर के अनुसार डाली गई है जिसमें सभी वाणिज्यिक बैंकों, सभी लघु वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों के लिए पासबुक में कवरेज अपफ्रंट की सीमा के साथ 'जमा बीमा कवर' के बारे में जानकारी शामिल करना आवश्यक है। "
सहकारी बैंक पीएमसी में हुए घोटाले के बाद यह बहस हो रही है कि ग्राहकों की बैंक में जमा बीमित राशि जो वर्तमान में एक लाख रुपये है, वो काफी कम है। अगर बैंक दिवालिया या फिर किसी तरह के बड़े घोटाले के कारण डूब जाता है, तो फिर एक लाख रुपये तक ही राशि ही ग्राहकों को वापस मिलेगी।
आरबीआई की तरफ से जमाकर्ताओं को उनके जमा धन पर मिलने वाले इन्श्योरेंस कवर पर कुछ नियम बनाए हैं। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) के नाम से बने इन नियमों के अनुसार बैंकों में आपके द्वारा जमा किए गए रकम में से केवल एक लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर है। यह कवर सभी तरह के खातों पर लागू है।
मान लीजिए आपका किसी बैंक में खाता है और उसमें मूलधन व ब्याज मिलाकर के 15 लाख रुपये का बैलेंस है और किसी वजह से बैंक दिवालिया हो जाता है। दिवालिया होने की वजह से वह जमाकर्ताओं के पैसे चुकाने की स्थिति में नहीं रहता है, तो ऐसी स्थिति में भी उस बैंक को कम से कम एक लाख रुपये आपको देने ही होंगे। हालांकि एक लाख से ज्यादा जितनी भी रकम होगी (14 लाख रुपये), उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।
आरबीआई का यह नियम सभी बैंकों पर लागू है। इनमें विदेशी बैंक भी शामिल हैं, जिनको आरबीआई की तरफ से लाइसेंस मिला हुआ है।