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ANI

शुक्रवार को ही देश की शीर्ष अदालत से सेवानिवृत हुए कुरियन जोसेफ का कहना है कि उन्हें लगता था की भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को बाहर से नियंत्रित किया जा रहा था.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के अन्‍य तीन जजों जस्टिस जे चेलमेश्‍वर, रंजन गोगोई और मदन बी लोकुर के साथ मिलकर की गई प्रेस कांफ्रेंस के फैसले का भी यह कहते हुए बचाव किया कि उन्‍हें ऐसा भी प्रतीत हो रहा था कि तत्‍कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के जजों को राजनीतिक पक्षपात के साथ केस आवंटित कर रहे थे.

गौरतलब है कि उस दौरान चार जजों की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बड़ी राजनीतिक उथल पुथल देखने को मिली थी. विपक्ष ने उस वक्त के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी पेश किया था. हालांकि राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया था.

बता दें कि इससे पहले रिटायरमेंट के एक दिन बाद, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को कहा था कि उन्हें 12 जनवरी को 4 जजों की ओर से किए गए विवादित प्रेस कांफ्रेंस को लेकर कोई पछतावा नहीं है. इसमें उन्होंने तथा तीन अन्य न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत और चीफ जस्टिस के कामकाज को लेकर विभिन्न मुद्दे उठाए थे. पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि चीजें अब बदल रही हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन का हिस्सा होने का पछतावा है, उन्होंने जवाब दिया, ''आप किस तरह का अजीब सवाल पूछ रहे हैं? मैंने जो कुछ किया मुझे उसका कोई पछतावा नहीं है, मैंने बहुत सोच समझकर एक उद्देश्य से ऐसा किया, ऐसा उद्देश्य जिसके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था. जब हमने ऐसा किया तब यही स्थिति थी.''

गोगोई वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं और न्यायमूर्ति लोकुर अभी भी अपने पद पर हैं. चेलेश्वर जून में सेवानिवृत्त हुए और मिश्रा 1 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हुए.

जब उनसे पूछा गया कि जस्टिस दीपक मिश्रा के सीजेआई पद संभालने के महज चार महीनों में ऐसा क्‍या गलत हुआ. जवाब में जोसेफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को बाहरी रूप से प्रभावित करने की कई घटनाएं हुईं. ये सभी घटनाएं जजों की बेंच को आवंटित किए जा रहे केसों और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित थीं.

जोसेफ ने कहा 'हम लोगों को ऐसा लग रहा था कि कोई बाहर से तत्‍कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा को कंट्रोल कर रहा है. इसी कारण हम लोग उनसे मिले. उनसे कहा और उन्‍हें लिखा कि सुप्रीम कोर्ट की स्‍वतंत्रता और महत्‍व को बनाए रखा जाए. फिर जब हम लोगों की सभी कोशिशें विफल हो गईं तो हमने प्रेस कांफ्रेंस करने का निर्णय लिया.'

आपको बता दें कि जस्टिस कुरियन जोसेफ बीते गुरुवार को ही रिटायर हुए हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के तीसरे वरिष्ठतम जज थे. उन्होंने केरल हाई कोर्ट से 1979 से अपने करियर की शुरुआत की थी. सन् 2000 में वे केरल हाई कोर्ट के जज नियुक्त किए गए. 8 मार्च 2013 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नियुक्त किया गया.

देश की उच्चतम न्यायालय में पिछले पांच सालों के दौरान जस्टिस जोसेफ ने कई अहम मामलों में फैसले दिए. इनमें ट्रिपल तलाक, राष्ट्रीय न्यायिक उत्तरदायित्व आयोग और नागराज पुनर्व‍िचार(एससी/एसटी) खास रहे.