गृह मंत्री अमित शाहDIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Images

संसद ने एसपीजी कानून में संशोधन करने वाले एक विधेयक को मंगलवार को स्वीकृति दे दी जिसके तहत प्रधानमंत्री तथा पद छोड़ने के पांच साल बाद तक पूर्व प्रधानमंत्री को यह विशिष्ट सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा। राज्य सभा में कांग्रेस सदस्यों द्वारा वॉक-आउट के बीच ध्वनिमत से इस विधेयक को मंजूरी दी। विशेष (संशोधन) विधेयक, 2019 पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है।

सरकार ने यह स्पष्ट किया कि यह प्रस्तावित कानून गांधी परिवार के सदस्यों को ध्यान में रखकर नहीं लाया गया है क्योंकि इसे लाने से पहले ही इस परिवार के तीन सदस्यों की सुरक्षा श्रेणी को एसपीजी से बदलकर जेड प्लस कर दिया गया था।

गांधी परिवार पर स्टेटस सिंबल के लिए एसपीजी सुरक्षा रखने का आरोप लगाते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'एसपीजी ऐक्ट में 4 बार परिवर्तन हुआ। यह पांचवां है। 5वां परिवर्तन किसी परिवार को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है। उससे पहले ही समीक्षा करके उन्हें सीआरपीएफ जेड प्लस सुरक्षा दी गई जो एएसएल और ऐंबुलेंस के साथ है। यह 24 घंटे है। यह देश में किसी व्यक्ति को दी गई सर्वोच्च सुरक्षा है। असल में पिछले चारों परिवर्तन एक परिवार को ध्यान में रखकर किए गए थे।'

अमित शाह ने कहा, 'सुरक्षा कभी स्टेटस सिंबल नहीं हो सकता है। एसपीजी ही क्यों? हो सकता है कि देश के प्रधानमंत्री से ज्यादा किसी आम आदमी को खतरा हो। राम मंदिर आंदोलन के वक्त अशोक सिंघल को तत्कालीन प्रधानमंत्री से भी ज्यादा खतरा था लेकिन उन्हें एसपीजी नहीं मिली। एसपीजी प्रधानमंत्री के लिए बनी है।' उन्होंने आगे कहा, 'अब कोई प्रधानमंत्री नहीं रहता है तो बाद में भी उसे एसपीजी सुरक्षा मिलेगी, ऐसा नहीं चलता। नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री हैं, उन्हें ही एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। जहां तक खतरे की बात है तो गांधी परिवार ही क्यों, गांधी परिवार समेत 130 करोड़ नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है, राज्य सरकार की है। लेकिन हमें तो सिर्फ एसपीजी चाहिए, यह जिद समझ में नहीं आती।'

गृह मंत्री अमित शाहTwitter / @ANI

गृह मंत्री ने कहा कि गांधी परिवार की सुरक्षा में जो जवान तैनात हैं वे कभी एसपीजी में भी रह चुके हैं, इसलिए सुरक्षा से समझौता के आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा, 'एसपीजी में 33 प्रतिशत बीएसएफ से, 33 से 34 प्रतिशत सीआरपीएफ से, 17 प्रतिशत सीआईएसएफ से, आईटीबीपी से 9 प्रतिशत और अन्य राज्यों की पुलिस से 1 प्रतिशत जवान हैं। 5 साल बाद इन्हें इनके संगठन में वापस भेज दिया जाता है। गांधी परिवार के तीनों सदस्यों की सुरक्षा में वहीं लोग लगाए गए हैं जो कभी एसपीजी में रह चुके हैं। एसपीजी कवर सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए है और उनके लिए ही होना चाहिए।'

गृह मंत्री अमित शाह ने विशेष संरक्षा ग्रुप (संशोधन) विधेयक 2019 पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक न तो राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के साथ और न ही किसी परिवार विशेष को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित कानून के कारण यदि सबसे ज्यादा किसी का नुकसान होगा तो वह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं क्योंकि इस शीर्ष पद से हटने के पांच साल बाद उनसे यह विशिष्ट सुरक्षा घेरा वापस ले लिया जाएगा।

विधेयक की धारा 4 में एक उपधारा का प्रस्ताव किया गया है कि प्रधानमंत्री और उनके साथ निवास करने वाले उनके निकट परिजनों को एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। इसी के साथ किसी पूर्व प्रधानमंत्री और उनके आवंटित आवास पर उनके निकट परिजनों को संबंधित नेता के प्रधानमंत्री पद छोड़ने की तारीख से पांच साल तक एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

हालांकि विधेयक पर गृह मंत्री की यह सफाई कांग्रेस सदस्यों को संतुष्ट नहीं कर पाई तथा उनके सदस्यों ने वाम दलों और द्रमुक के सदस्यों के साथ शाह के जवाब के बाद सदन से वाकआउट किया। शाह के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।

IANS

गृह मंत्री ने इस बात पर हैरत जतायी कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, वी पी सिंह, आई के गुजराल, पीवी नरसिंह राव आदि के परिजनों की भी एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई लेकिन किसी ने आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई। किंतु कांग्रेस ने कभी मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाने का विरोध क्यों नहीं किया?

इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने अपने स्थान पर खड़े होकर एक पत्र दिखाया और कहा कि उन्होंने यह पत्र भेजकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाये जाने पर ऐतराज व्यक्त किया था। हालांकि शाह ने उनकी इस सफाई को खारिज करते हुए कहा, ''फ़ॉरमेल्टी (औपचारिकता) एवं विरोध में अंतर होता है आजाद साहब।''

सुरक्षा मामलों पर वाम दलों के सदस्यों के राजनीतिक प्रतिशोध के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में वाम दलों को बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनके शासन वाले केरल में ''भाजपा के 120 कार्यकताओं की हत्या की गयी है।'' शाह की इस टिप्पणी का वाम दलों और कांग्रेस के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया।

कांग्रेस के वी के हरिप्रसाद ने कहा कि इस टिप्पणी से समझ नहीं आता कि शाह देश के गृहमंत्री हैं या भाजपा के। हरिप्रसाद की इस टिप्पणी पर शाह ने कहा कि वह पूरे देश के गृह मंत्री हैं और भाजपा के जो 120 कार्यकर्ता हिंसा में मारे गये हैं, वे भी इसी देश के नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि केरल में चाहे कांग्रेस की सरकार आए या वाम दलों की, हत्या तो भाजपा के कार्यकर्ताओं की होती है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.