पाकिस्तान से उड़ान भरने वाले ड्रोन विमानों द्वारा पंजाब में हथियार गिराने, लंदन के गैटविक हवाईअड्डे पर ड्रोन दिखने के बाद उड़ान सेवाएं बाधित होने और एक ड्रोन हमले में ईरानी कमांडर के मारे जाने जैसी घटनाओं के मद्देनजर सरकार को सभी असैन्य ड्रोन विमानों के पंजीकरण का आदेश देना पड़ा है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की कि देश में सभी ड्रोन ऑपरेटरों को अपने मानवरहित विमानों का 31 जनवरी तक आवश्यक रूप से पंजीकरण कराना होगा।
अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में ड्रोन निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना परिचालित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन जनवरी को एक ड्रोन से दागी गई मिसाइल से ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने की घटना ने असैन्य ड्रोन विमानों के नियमन की तात्कालिक आवश्यकता पैदा की है । हालांकि इस्तेमाल किए जाने वाले मानवरहित विमानों से इनकी तुलना की कोई वजह नहीं है।
अधिकारियों ने कहा कि नियमों के बिना परिचालित हो रहे ड्रोन विमानों से हवाईअड्डों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को संभावित खतरे के मद्देनजर इन अनियमित ड्रोनों के पंजीकरण की आवश्यकता महसूस हुई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुलेमानी को मारने के लिए इस्तेमाल किए गए सैन्य श्रेणी के बड़े ड्रोन और भारत में इस्तेमाल हो रहे ड्रोन विमानों के बीच कोई तुलना नहीं है।
इस संबंध में एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''लेकिन घटना ने ड्रोन विमानों की गणना करने के लिए एक ढांचा तैयार करने की एक तरह की आवश्यकता पैदा कर दी है।'' सुलेमानी को मारने के लिए मिसाइलों से लैस बड़े ड्रोन विमान का इस्तेमाल किया गया था। यह घटना तब हुई थी जब ईरानी कमांडर का काफिला बगदाद हवाईअ्डे से अन्यत्र जा रहा था।
घटना को लेकर एक अधिकारी ने कहा, ''हालांकि भारत के पास उस तरह के ड्रोन नहीं हैं, लेकिन घटना ने हमें नियमों के बिना चल रहे असैन्य ड्रोन विमानों से संभावित सुरक्षा खतरे को लेकर सोचने को विवश कर दिया।''
उन्होंने कहा कि पिछले साल पाकिस्तान से उड़ने वाले ड्रोन विमानों द्वारा पंजाब में हथियार गिराए जाने और 2018 में मानवरहित विमान दिखने के बाद लंदन के गैटविक हवाईअड्डे पर लगभग 70 घंटे तक उड़ान सेवाएं बाधित रहने जैसी घटनाओं के मद्देनजर मंत्रालय को भारत में ड्रोनों के लिए नियमन उपायों पर विचार करना पड़ा। भारत में ड्रोन विमानों की संख्या के बारे में अभी कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.