उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार 6 मई को 21 विपक्षी दलों द्वारा मौजूदा आम चुनाव के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के औचक मिलान में वृद्धि की मांग को लेकर दायर की गई एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, "हम अपने आदेश को संशोधित करने के इच्छुक नहीं हैं।"
इससे पहले 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक विधानसभा के पांच बूथों की ईवीएम का वीवीपैट से मिलान करने का फैसला दिया था।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा करने की मांग करते हुए कहा था कि औचक मिलान के लिए बूथों की संख्या को एक से बढ़कर पांच किया जाना उचित नहीं है और ऐसा करने से अदालत द्वारा वांछित संतुष्टि को पाया नहीं जा सकता है।
विपक्षी पार्टियों की तरफ से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे। याचिका खारिज होने के बाद सिंघवी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। उनकी याचिका ईवीएम को लेकर नहीं, बल्कि वीवीपैट को लेकर थी।
बता दें कि पहले नियम था कि वोटों की गिनती के दौरान किसी भी विधानसभा के किसी भी बूथ की ईवीएम का वीवीपैट से मिलान किया जाएगा। इस नियम में बदलाव की मांग को लेकर 21 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक विधानसभा के 5 बूथों की ईवीएम का वीवीपैट से मिलान करने का फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने पुनर्विचार की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम का वीवीपैट से मिलान हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि एक ही मामले को बार-बार नहीं सुना जा सकता है। कोर्ट मे सिंघवी ने यह भी कहा कि अगर 50 प्रतिशत मिलान नहीं किया जा सकता तो कम से कम 25 प्रतिशत मिलान की सुविधा रखी जाए।
सिंघवी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की 5 बूथों पर वीवीपैट के मिलान की बात कही थी जो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है।' अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि वह अपने पुराने आदेश में कोई बदलाव नहीं करेंगे।
बता दें कि कई पार्टियां ईवीएम में गड़बड़ी की बात कह चुके हैं। 14 अप्रैल को विपक्षी पार्टियों की बैठक में यह मुद्दा फिर से उठाया गया था। विपक्षी पार्टियों से उस दौरान इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही थी। वहीं इस पर बीजेपी ने कहा था कि विपक्षी पार्टियां पहले ही अपनी हार मान चुकी हैं।