उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालयREUTERS/Anindito Mukherjee

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का ऑफिस भी कुछ शर्तों के साथ सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में आ गया है। देश के प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय को आरटीआई कानून के दायरे में लाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार, 13 नवंबर को 3-2 से फैसला सुनाया। फैसले के अनुसार ऑफिस ऑफ सीजेआई अब आरटीआई के दायरे में आएगा।

इसी साल चार अप्रैल को शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि चीफ जस्टिस के दफ्तर को आरटीआई के तहत लाने को लेकर वर्ष 2010 में पहली बार याचिका दायर की गई थी। इस मामले को लेकर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सीजेआई एक ऐसा पद है जो पब्लिक अथॉरिटी के अंदर आता है।

राइट टू इनफार्मेशन और टाइट टू प्राइवेसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता के मद्देनजर न्यायिक स्वतंत्रता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

सीजेआई रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज अपराह्न दो बजे फैसला सुनाया। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना हैं। फैसला सुनाए जाने का नोटिस मंगलवार अपराह्न उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोईReuters

बता दें कि ये अपीलें सुप्रीम कोर्ट के सेक्रटरी जनरल और शीर्ष अदालत के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के साल 2009 के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि सीजेआई का पद भी सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आता है।

दरअसल, सीआईसी ने अपने आदेश में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में होगा। इस फैसले को होई कोर्ट ने सही ठहराया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने 2010 में चुनौती दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे कर दिया था और मामले को संविधान बेंच को रेफर कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि सीजेआई के कार्यालय के अधीन आने वाले कलीजियम से जुड़ी जानकारी को साझा करना न्यायिक स्वतंत्रता को नष्ट कर देगा। अदालत से जुड़ी आरटीआई का जवाब देने का कार्य केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी का होता है।

आपको बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले उन्होंने अयोध्या जमीन विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया।