जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे के समाप्त होने और राज्य के दो केंद शासित प्रदेशों में विभाजित होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस्लामाबाद ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और जम्मू-कश्मीर से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर तत्काल दर्जन भर आतंकी कैंप फिर से सक्रिय कर दिए हैं।
पेरिस स्थित अंतर सरकारी संस्थान फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा दी गई मई 2019 तक की समयसीमा को देखते हुए लगभग पूरी तरह बंद हुए इन आतंकी शिविरों में पिछले हफ्ते के दौरान काफी ज्यादा गतिविधियां देखी गईं।
शीर्ष खुफिया सूत्रों ने बताया कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लगे पीओके क्षेत्र के कोटली, रावलकोट, बाघ और मुजफ्फराबाद में आतंकी कैंप पाकिस्तानी सेना के सीधे सहयोग से दोबारा सक्रिय हो गए हैं जिसे देखते हुए भारतीय सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दो दिन पहले संसद के संयुक्त सत्र में बयान दिया था कि भारत में अब अगर पुलवामा जैसा हमला होता है तो इसके लिए इस्लामाबाद जिम्मेदार नहीं होगा।
इमरान खान के बयान में प्रत्यक्ष तौर पर जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के हैंडलर्स को प्रशिक्षण कैंप और लॉन्च पैड दोबारा सक्रिय करने के लिए खुली छूट देखी गई।
खुफिया रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि जेईएम, एलईटी और तालिबान के लगभग 150 सदस्य कथित तौर पर कोटली के निकट फागूश और कुंड शिविरों व मुजफ्फराबाद क्षेत्र में शवाई नल्लाह और अब्दुल्लाह बिन मसूद शिविरों में इकट्ठे हुए हैं।
खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जेईएम प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का भाई इब्राहिम अतहर भी पीओके क्षेत्र में देखा गया है। रक्षा मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस समय घाटी में मौजूद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की।
बैठक में इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के निदेशक अरविंद कुमार, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह और सेना के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। एनएसए ने जम्मू -कश्मीर पर सरकार के साहसिक निर्णयों के बाद सुरक्षा रणनीति और सीमा पार से आतंकी खतरों पर चर्चा की।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।