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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर द्वारा विपक्ष और बीजेपी नेताओं की मौत को लेकर विवादास्पद टिप्पणियों के बाद, शर्मिंदगी का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी ने भोपाल की अपनी सांसद से सार्वजनिक रूप से बयान देने और किसी भी मामले पर विवादास्पद टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा है।

भोपाल से कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को मात दे सांसद बनी साध्वी प्रज्ञा और विवादों का चोली-दामन का साथ है और वे अक्सर ही अपने बयानों और भाषणों के जरिये नित नये विवादों को जन्म देती रहती हैं।

हाल ही के दिनों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने तीन बड़े नेताओं को खोया है। इनमें पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर शामिल रहे हैं।

सोमवार सुबह प्रदेश भाजपा कार्यालय में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित शोकसभा में उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं को नुकसान पहुंचाने के लिए विपक्ष 'मारक शक्ति' का इस्तेमाल कर रहा है।

सांसद ने कहा था, 'जब मैं लोकसभा चुनावों में लड़ रही थी महाराज जी ने मुझसे कहा कि हम पर बुरा समय है और विपक्ष भाजपा के खिलाफ कोई मारक शक्‍ति का इस्‍तेमाल कर रहा है। बाद में मैं इस बात को भूल गई थी लेकिन अब हमारे बड़े नेता एक के बाद एक जा रहे हैं, मैं सोचने को मजबूर हूं कि महाराज जी ने सही बोला था?'

प्रज्ञा ने बताया कि महाराज जी द्वारा कही गई बातों को मैं भूल गई क्‍योंकि उस वक्‍त मैं भीड़ में थी। 'लेकिन अब जब मैं अपने बड़े नेताओं सुषमा जी, बाबूलाल जी, जेटली जी को एक के बाद एक जाते देख रही हूं तो सोचने को मजबूर हो गई हूं। यह सच है कि ये सब असमय ही हमें छोड़ चले गए।'

पार्टी के दो नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीजेपी मध्य प्रदेश के प्रमुख राकेश सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर को चेतावनी दी है कि अगर अगली बार उन्होंने विवादित बयान दिया तो उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पार्टी का मानना है कि जब भी प्रज्ञा ठाकुर कुछ बयान देती हैं तो वह गलती कर बैठती हैं। उनके सहयोगी जेपी शर्मा ने कहा, 'क्या आपको लगता है कि कोई भी साध्वीजी को बोलने से रोक सकता है?'

प्रज्ञा सिंह ठाकुर कई बार विवादित बयान दे चुकी हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि वह नाला साफ करने या टॉयलेट साफ करने के लिए नहीं चुनी गई हैं। प्रज्ञा ठाकुर उस वक्त भी अपने बयानों से विवादों में घिर गई थीं, जब उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के शहीद हेमंत करकरे पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि शहीद हेमंत करकरे उनकी शाप की वजह से मारे गए थे। करकरे उस टीम का हिस्सा थे, जिसने प्रज्ञा से मालेगांव ब्लास्ट केस में पूछताछ की थी।

प्रज्ञा ठाकुर ने उस वक्त भी विवाद को जन्म दिया था, जब वह 17वीं लोकसभा के पहले दिन अपने आध्यात्मिक गुरु का नाम लेने में फंस गई थीं। जिसकी वजह से विपक्ष ने विरोध किया था। प्रज्ञा का महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को दशभक्त बताने वाला बयान भी काफी विवादों में रहा था। प्रज्ञा ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था। हालांकि, इस बयान पर उन्हें कारण बताओ नोटिस मिला था और बाद में माफी भी मांगनी पड़ी थी।