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टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल) ने सायरस मिस्त्री को समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के आदेश के खिलाफ बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में अपील की। टाटा उद्योग घराने की इस धारक कंपनी ने न्यायालय से राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले को निरस्त करने का अनुरोध किया है।

टाटा संस का दावा है कि एनसीएलएटी के निर्णय ने "निदेशक मंडल और शेयरधारकों के अधिकारों को कमजोर" किया है। टाटा समूह छह जनवरी को न्यायालय के फिर से खुलने पर इस याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध कर सकती है।

टीएसपीएल (पूर्व में टाटा संस लिमिटेड) ने अपील में कहा है कि यह निर्णय कंपनी कानून के क्रमित इतिहास से ''बिल्कुल बेमेल है'' और इसमें "तथ्यों का मान नहीं रखा गया है।'' यह कानून की कसौटी पर टिकने लायक नहीं है।

एनसीएलएटी ने सायरस मिस्त्री और साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत देते हुए टीएसपीएल के कार्यकारी चेयरमैन के पद पर बहाल किए जाने का आदेश दिया है। उसने इस पद पर बिठाये गये एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को "अवैध" ठहराया है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में माना था कि टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा की मिस्त्री के खिलाफ कार्रवाई उत्पीड़नकारी थी।

एनसीएलएटी ने व्यवस्था दी थी कि मिस्त्री की बहाली का आदेश चार सप्ताह बाद प्रभावी होगा और इस दौरान टाटा संस चाहे तो इस निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकती है। याचिका में कहा गया है कि मिस्त्री को उनके "बाकी कार्यकाल" के लिए टीएसपीएल के कार्यकारी चेयरमैन के पद पर बहाल करने का आदेश "अवैध" है, क्योंकि " उनका कार्यकाल मार्च 2017 में समाप्त हो चुका है।"

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अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदलकर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया था। एनसीएलएटी ने टाटा संस को मिस्त्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है।

मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस में करीब 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 81 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियों के साथ टाटा परिवार के सदस्यों के पास है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.