कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश से गरीबी मिटाने का संकल्प लेते हुए सोमवार को घोषणा की कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश में कांग्रेस की सरकार बनी तो देश के 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों को हर साल 72,000 रुपये दिए जाएंगे। अपनी दादी इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' की तर्ज पर उन्होंने दावा किया कि हम देश से गरीबी को मिटा देंगे।
कांग्रेस ने इस योजना का नाम 'न्याय' रखा है। अब देखना है कि राहुल गांधी के इस योजना के जरिए देश के लोगों का दिल जीत पाते हैं या नहीं।
Rahul Gandhi: Congress party promises that India's 20%,most poor families will get yearly 72,000 rupees in their bank accounts under minimum basic income guarantee scheme pic.twitter.com/cGWcUErPRh
— ANI (@ANI) March 25, 2019
एयर स्ट्राइक के बाद कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही थी और बीजेपी के हौसले बुलंद थे। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यूनतम आय स्कीम (NYAY) के रूप में बड़ा दांव चला है। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस योजना के जरिए सीधे तौर पर देश के 25 करोड़ लोगों को साधने की कोशिश की है, जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि न्यूनतम आय की यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी और गरीबों के बैंक खातों में सीधे पैसा डाला जाएगा। कांग्रेस की इस योजना को मनरेगा पार्ट-2 माना जा रहा है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी सरकार पर भी हमला बोला। राहुल गांधी का कहना है कि पीएम ने देश को दो हिस्सों में बांट दिया है और हम दो हिंदुस्तान नहीं बनने देंगे।
बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि 5 सालों में जनता को काफी मुश्किलें हुईं, ऐसे में कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि हम गरीबों से न्याय करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि इस तरह की न्यूनतम आय योजना दुनिया में कहीं नहीं है। उन्होंने साफ करते हुए कहा कि न्यूनतम आय सीमा 12,000 रुपये होगी और इतना पैसा देश में मौजूद है।
योजना के बारे में समझाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गारंटी देती है कि 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों को हर साल 72,000 रुपये दिए जाएंगे। इससे हर जाति, हर धर्म के गरीबों को फायदा होगा। राहुल ने कहा कि इस स्कीम के तहत हर गरीब की इनकम 12 हजार रुपये सुनिश्चित की जाएगी। स्कीम के तहत अगर किसी की इनकम 12 हजार से कम है, तो उतने पैसे सरकार उसे देगी। जैसे- अगर किसी की इनकम छह हजार रुपये है, तो सरकार उसे 6 हजार रुपये और देगी। जब वह व्यक्ति 12 हजार की इनकम से ऊपर आ जाएगा, तो वह इस स्कीम से बाहर आ जाएगा।
राहुल ने कहा, 'एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस ने कर्ज माफी का वादा किया था। हमने उसे पूरा किया और आज मैं देश के 20 फीसदी गरीबों के लिए वादा कर रहा हूं। पहले पायलट प्रॉजेक्ट चलेगा और उसके बाद यह लागू होगी।' उन्होंने कहा कि इसके तमाम पहलुओं को लेकर पूरी समीक्षा कर ली गई है। कांग्रेस के इस ऐलान को मनरेगा पार्ट-2 माना जा रहा है।
Rahul Gandhi: 5 crore families and 25 crore people will directly benefit from this scheme. All calculations have been done. There is no such scheme anywhere else in the world https://t.co/bYmKhUvqZO
— ANI (@ANI) March 25, 2019
पीएम मोदी पर सीधा अटैक करते हुए राहुल ने कहा, 'पीएम आपसे कहते हैं कि उन्होंने किसानों को पैसा दिया। 3.5 रुपये उन्होंने किसानों को दिए, वहां तालियां बजीं। देश को गुमराह किया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि बीजेपी सबसे अमीरों को पैसा देती है और हम सबसे गरीबों को पैसा देने जा रहे हैं।
राहुल ने कहा कि देश के 5 करोड़ परिवारों और 25 करोड़ लोगों को इस स्कीम का सीधा फायदा मिलेगा। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि लोगों को झटका लगेगा पर देश में इतनी क्षमता है और हम आपको दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि 4-5 महीनों से दुनिया के अर्थशास्त्रियों से चर्चा कर इस स्कीम को तैयार किया गया है।
कांग्रेस की कवायद इस योजना के सहारे आगामी चुनावों में गरीब तबके के वोट के लुभाने की है। ऐसे में सवाल है कि 'न्यूनतम आय योजना' (NYAY) के लागू करने के बाद देश से गरीबी का नामोनिशान क्या मिट जाएगा? राहुल गांधी की दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में गरीब हटाओ का नारा दिया था। इसका चुनाव में कांग्रेस को फायदा भी मिला था। ऐसे में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 2019 में सियासी लाभ मिलेगा, ये देखना होगा।
दरअसल आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 द्वारा दिए गए मॉडल के मुताबिक देश में गरीबी रेखा का आंकलन उचित ढंग से नहीं किया गया है। जहां तेंदुलकर फॉर्मूले से 22 फीसदी जनसंख्या को गरीब बताया गया, वहीं इसके बाद हुए सी रंगराजन फॉर्मूले ने 29.5 फीसदी यानि 36.3 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे बताया। वहीं प्रति व्यक्ति खर्च के स्तर को भी 2012 में 27.2 रुपये से सुधार कर 2014-15 में 32 रुपये कर दिया गया, जबकि शहरी इलाकों के लिए इस खर्च को 33.3 रुपये से बढ़ाकर 47 रुपये प्रति व्यक्ति कर दिया गया।