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सांकेतिक तस्वीरReuters

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सत्तासीन बीजेपी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बने राफेल सौदे पर जारी सियासी घमासान के बीच आज नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश की गई. केंद्रीय मंत्री पी. राधाकृष्णन ने इस रिपोर्ट को पेश किया. इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए के मुकाबले एनडीए के शासनकाल में 2.86% सस्ती डील फाइनल की गई है.

हालांकि, बिल्कुर तैयार अवस्था में राफेल की कीमत यूपीए सरकार के जितनी ही है. हालांकि, रिपोर्ट में विमान के दाम नहीं बताए गए हैं. कैग की रिपोर्ट से मोदी सरकार का वो दावा भी खारिज होता है, जिसमें कहा गया था कि मोदी सरकार ने राफेल विमान 9 फीसदी सस्ता खरीदे हैं.

इसके अलावा इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एनडीए सरकार की डील के अनुसार राफेल विमान की डिलीवरी तय समय से काफी पहले हो रही थी. एक ओर पिछली डील में जहां 72 महीने का समय लग रहा था लेकिन अब सिर्फ 71 महीने का समय लग रहा है.

इसमें से भी 18 विमान 5 महीने पहले ही भारत में पहुंच जाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार, CCS के सामने सितंबर 2016 में सोवरन गारंटी और लेटर ऑफ कम्फर्ट पेश की गई थी. जिसमें तय हुआ था कि लेटर ऑफ कम्फर्ट को फ्रांस के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा जाएगा.

कैग रिपोर्ट के मुताबिक 126 विमानों की तुलना में भारत ने 36 राफेल कॉन्ट्रैक्ट में 17.08% पैसे बचाए हैं. आपको बता दें कि मोदी सरकार के समय में 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा हुआ. इससे पहले यूपीए के समय में 126 राफेल का सौदा हुआ था पर कई शर्तों पर आम राय नहीं बन सकी थी.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में में 36 राफेल विमानों की नई डील को यूपीए सरकार में हुए 126 विमानों वाली पिछली डील से बेहतर बताया है. तुलना कर बताया है कि पिछली डील में बदलाव करने से देश का 17.08 फीसदी रकम बची है. रिपोर्ट में कहा गया है, '126 विमानों के लिए किए गए सौदे की तुलना में भारत ने भारतीय आवश्यकतानुसार करवाए गए परिवर्तनों के साथ 36 राफेल विमानों के सौदे में 17.08 फीसदी रकम बचाई है.'

इसके साथ ही इसमें कहा गया है, 'पहले 18 राफेल विमानों का डिलीवरी शेड्यूल उस शेड्यूल से पांच महीने बेहतर है, जो 126 विमानों के लिए किए गए सौदे में प्रस्तावित था.' राज्यसभा में पेश की गई भारतीय वायुसेना में Capital Acquisition in Indian Air Force पर सीएजी रिपोर्ट में 16 पन्नों में राफेल सौदे के बारे में जानकारी दी गई है.

सीएजी रिपोर्ट राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने कहा, ऐसा नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट भी गलत हो, 'सीएजी भी गलत हो, सिर्फ परिवार ही सही हो. सत्यमेव जयते. सच्चाई की हमेशा जीत होती है. राफेल पर सीएजी रिपोर्ट से सच की पुष्टि हुई. लोकतंत्र उन्हें कैसे दंडित करता है, जो लगातार देश से झूठ बोलते रहे हों. सीएजी रिपोर्ट से 'महाझूठबंधन' के झूठों की पोल खुल गई है.'

राफेल डील को लेकर कांग्रेस के सांसदों ने राहुल गांधी के नेतृत्व में संसद परिसर में प्रदर्शन किया. इस दौरान सांसदों ने 'चौकीदार चोर है' के नारे लगाए. विरोध प्रदर्शन के दौरान सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी मौजूद थे. इससे पहले बुधवार सुबह में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान के मूल्यों, सिद्धांतों और प्रावधानों पर मोदी सरकार की ओर से लगातार हमले किए जा रहे हैं.

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ANI

सरकार की CAG रिपोर्ट में क्या है?
आपको बता दें कि कैग रिपोर्ट में भारतीय एयर फोर्स की कई डील के बारे में जानकारी साझा की गई हैं. इन्हीं में राफेल डील भी एक हिस्सा है. कैग की इस रिपोर्ट में राफेल विमान के दामों के बारे में नहीं बताया गया है, जबकि विपक्ष दाम के मुद्दे पर ही केंद्र सरकार को घेर रहा है. रिपोर्ट में डिफेंस डील के हर पैरामीटर को परख कर आंकड़े दिए गए हैं.

रिपोर्ट के बड़े प्वाइंट्स

  • NDA सरकार की राफेल डील पिछली सरकार से 2.86 फीसदी सस्ती.
  • फ्लाई अवे प्राइस (तैयार विमान) का दाम यूपीए सरकार की डील के बराबर.
  • मोदी सरकार ने जो 9 फीसदी सस्ती डील का दावा किया था, वह CAG रिपोर्ट से खारिज हुआ.
  • CAG रिपोर्ट में राफेल विमान के दाम को नहीं बताया गया है.
  • रिपोर्ट का दावा इस डील (36 विमान) में पिछली डील (126 विमान) का करीब 17.08 फीसदी पैसा बचा है.
  • रक्षा मंत्रालय को काफी चरणों में इस डील को फाइनल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
  • पिछली डील के मुताबिक, राफेल विमान की डिलीवरी 72 महीने में होनी थी लेकिन इस डील में 71 महीने में ही डिलीवरी हो रही है.
  • CCS के सामने सितंबर 2016 में सोवरन गारंटी और लेटर ऑफ कम्फर्ट पेश की गई थी. जिसमें तय हुआ था कि लेटर ऑफ कम्फर्ट को फ्रांस के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा जाएगा.
  • शुरुआती 18 राफेल विमान पिछली डील के मुकाबले 5 महीने पहले ही भारत में आ जाएंगे.
  • रक्षा मंत्रालय की ओर से जनवरी 2019 में बताया गया था कि नई डील में बेसिक प्राइस 9 फीसदी सस्ता है. ये 2007 में 126 विमान के लिए पेश ऑफर की तुलना में सस्ता था.