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पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों से भरपूर समर्थन मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने इस हमले को जघन्य और कायराना कृत्य करार देते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है। 15 देशों के इस संगठन में चीन भी शामिल है। सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे निंदनीय हमलों के लिए दोषियों को न्याय के कठघरे में लाकर कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इसे पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र की सबसे ताकतवर संस्था ने प्रेस को जारी किए अपने बयान में मसूद अजहर की अगुआई वाले आतंकी संगठन का नाम लिया है। यूएनएससी में चीन भी शामिल है, जो मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की भारत की कोशिशों का कई बार विरोध करते हुए वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है। सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हमले के लिए जिम्मेदार तत्वों पर शिकंजा कसने में भारत सरकार का सक्रिय सहयोग करने की अपील की है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले पर यूएनएससी के बयान में कहा गया है, 'सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर में हुए सूइसाइड बॉम्बिंग के जघन्य और कायराना कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं, जिसमें भारतीय पैरा मिलिटरी फोर्स के 40 जवानों की मौत हुई है और दर्जनों जख्मी हो गए। इस हमले की जैश-ए-मोहम्मद ने जिम्मेदारी ली है।'

बयान में कहा गया है, 'आतंकवाद के ऐसे निंदनीय कृत्य के लिए जिम्मेदार साजिशकर्ता, फाइनैंसर, और स्पॉन्सर को न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता है। हम सभी देशों को उनकी अंतरराष्ट्रीय कानूनी बाध्यताओं और सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का अनुपालन करते हुए भारत सरकार और दूसरी सभी एजेंसियों के साथ सक्रिय सहयोग की अपील करते हैं।'

यूएनएससी के सदस्य देशों ने इस हमले में शहीद हुए जवानों के परिजनों के साथ ही भारत की जनता और सरकार के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति जताई है। सुरक्षा परिषद ने घायल हुए जवानों के जल्द ठीक होने की कामना की है। प्रेस बयान में कहा गया है, 'सुरक्षा परिषद के सदस्यों का मानना है कि किसी भी तरह का आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है।'

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यूएनएससी के सदस्यों ने एक बार फिर दोहराया कि कहीं भी, कभी भी और किसी के द्वारा आतंकवाद का किसी भी तरह का कृत्य आपराधिक और अन्यायपूर्ण है, भले ही इसके पीछे कुछ भी मंशा हो।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पुलवामा हमले की आलोचना यूएन में पाकिस्तान की नियमित प्रतिनिधि मलीहा लोधी की शीर्ष यूएन नेताओं से मुलाकात के एक दिन बाद आई है। इससे पहले मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की कोशिशों को फ्रांस से बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद है। ऐसी संभावना है कि फ्रांस की ओर से इस संबंध में जल्द प्रस्ताव लाया जा सकता है।

अगर ऐसा प्रस्ताव आता है तो यूएन में पिछले 10 सालों के दौरान ऐसी चौथी कोशिश होगी। 2009 और 2016 में भारत मसूद अजहर पर बैन लगाने के लिए प्रयास कर चुका है। अजहर जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले का भी मास्टरमाइंड है। 2016 में भारत के साथ पी-3 देशों अमेरिका, यूके और फ्रांस ने प्रस्ताव पर साथ दिया था। 2017 में भी पी-3 देश यूएन में ऐसा ही प्रस्ताव लाए थे। हालांकि हर बार चीन ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले ही अड़ंगा लगा दिया।