विश्व स्तर पर भारत को बुधवार को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली। जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया। चीन ने एक दिन पहले ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि वो इस बार मसूद अजहर के मामले में अड़ंगा नहीं डालेगा। बीजिंग ने मंगलवार (30 अप्रैल) को कहा था कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का यह विवादित मुद्दा 'अच्छी तरह' सुलझ जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने इस मौके पर कहा कि, 'बड़े और छोटे सभी राष्ट्र एकजुट, संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया। सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद।'
Syed Akbaruddin, India's Ambassador to the UN: Big, small, all join together. Masood Azhar designated as a terrorist in UN Sanctions list. pic.twitter.com/lVjgPQ9det
— ANI (@ANI) May 1, 2019
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से जैश प्रमुख अजहर पर प्रतिबंध लगाने के ताजा प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में वीटो लगा दिया था। इससे पहले जैश ने फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की यह पिछले 10 साल में चौथी कोशिश थी।
सबसे पहले 2009 में भारत ने प्रस्ताव रखा था। फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध परिषद के समक्ष दूसरी बार प्रस्ताव रखा। इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार यह प्रस्ताव रखा था। इन सभी मौकों पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर ऐसा होने से रोक दिया था।
गौरतलब है कि चीन ने एक दिन पहले मंगलवार को कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित कराने के जटिल मुद्दे का उचित समाधान निकाला जाएगा, लेकिन उसने कोई समयसीमा नहीं बताई। कुछ दिन पहले यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद चीन का यह रुख सामने आया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, ''मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मुझे भरोसा है कि उचित तरीके से इसका समाधान निकलेगा।" वह इन खबरों के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब दे रहे थे कि चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के एक ताजा प्रस्ताव पर तकनीकी रोक हटाने पर सहमति जता दी है।