kamalnath resign
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उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार दोपहर दो बजे होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया जिसे स्वीकार भी कर लिया गया है। राजभवन सूत्रों ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''कमलनाथ ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया है। इसे स्वीकार भी कर लिया गया है।''

उधर मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ के इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में निर्दलीय, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा किया है। विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया ने कहा कि प्रदेश में भाजपा को निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों का समर्थन हासिल है।

उन्होंने कहा, ''लगभग सभी निर्दलीय विधायक हमारे साथ हैं। सपा और बसपा के विधायक पहले से ही हमारे साथ थे, फिलहाल वे यहां नहीं हैं लेकिन हमारी उनसे बात हो गई है। ये सभी विधायक प्रदेश में सकारात्मक राजनीति चाहते हैं।''

भदौरिया ने कहा कि बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस के विधायक बार-बार कह रहे थे कि वह कांग्रेस नेताओं से नहीं मिलता चाहते लेकिन पार्टी के नेताओं ने जबदस्ती अंदर घुसने और विधायकों को ले जाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ''अब, तस्वीर साफ है। उन्हें अपना बहुमत साबित करने के लिए सदन में आना चाहिए था। विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से अधिक वोट मिले थे।''

मध्यप्रदेश में दो सप्ताह लंबी चली राजनीतिक रस्साकशी में भदौरिया प्रमुख भूमिका में रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने इस दौरान कई मौकों पर उनका नाम लिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस के विधायकों को बेंगलुरु में बंदी बनाया गया है। बेंगलुरु से आई कई तस्वीरों में भदौरिया इन विधायकों के साथ दिखाई दिए थे।

मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे की घोषणा के तुरंत बाद कांग्रेस सरकार में शामिल बालाघाट जिले से निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर भाजपा को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया।

कमलनाथ द्वारा मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिए जाने को पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्य की जनता की जीत बताया। सिंधिया ने ट्वीट किया, ''मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है। मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी। सच्चाई की फिर विजय हुई है। सत्यमेव जयते।''

अपने इस्तीफे में कमलनाथ ने लिखा, ''मैंने अपने 40 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में हमेशा से शुचिता की राजनीति की है और प्रजातांत्रिक मूल्यों को सदैव तरजीह दी है। मध्य प्रदेश में पिछले दो हफ्ते में जो कुछ भी हुआ, वह प्रजातांत्रिक मूल्यों के अवमूल्यन का एक नया अध्याय है।"

उन्होंने इसमें आगे लिखा, ''मैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से अपना त्यागपत्र दे रहा हूं। साथ ही नए बनने वाले मुख्यमंत्री को मेरी शुभकामनाएं। मध्यप्रदेश के विकास में उन्हें मेरा सहयोग सदैव रहेगा।''

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उच्चतम न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष एन पी प्रजापति को शक्ति परीक्षण के लिये शुक्रवार को सदन का विशेष सत्र बुलाये जाने और यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी करने के निर्देश दिये जाने के बाद कमलनाथ ने सदन में शक्ति परीक्षण से बचने के लिए यह इस्तीफा दिया है। शक्ति परीक्षण के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा का विशेष सत्र शुक्रवार दोपहर दो बजे बुलाया गया था, लेकिन कमलनाथ ने इससे करीब 40 मिनट पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

राज्यपाल को इस्तीफा देने के लिए जाने से पहले कमलनाथ ने यहां मुख्यमंत्री निवास पर दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेंस की और भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने मेरी सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 बागी कांग्रेस विधायकों के साथ षड्यंत्र किया।

उन्होंने कहा, ''आज के बाद कल भी आता है। कल के बाद परसों भी आता है। जनता गवाह है। आज मैंने तय किया है कि मैं राज्यपाल को अपना इस्तीफा दूंगा। इसका कारण है कि मैंने देश के लोकतांत्रक मूल्यों का पालन किया। मैं नीलामी एवं सौदे की राजनीति में कभी पड़ा नहीं। मैंने साफ सुथरी राजनीति की है। मैंने मूल्यों की राजनीति की है।''

इस्तीफे का ऐलान करने के बाद वह सीधे राजभवन गये। दोपहर करीब सवा एक बजे वहां पहुंचे और अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा। मुख्यमंत्री निवास से राजभवन की दूरी करीब एक किलोमीटर है।

कमलनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ''किस प्रकार करोड़ों रुपये खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया जनता द्वारा नकारे गए एक तथाकथित महत्वाकांक्षी, सत्तालोलुप 'महाराज' और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रच लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की। इसकी सच्चाई थोड़े ही समय में सभी के सामने आएगी।''

उन्होंने कहा ''प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों व बागियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी। मैं चाहता था कि कांग्रेस महल में नहीं बल्कि महल कांग्रेस में आए ताकि जनता शक्तिशाली बने।''

उन्होंने कहा कि मैंने अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को अपने काम की सिफारिश के लिए फोन नहीं किया, यदि किया तो छिंदवाडा के विकास के लिए किया। उन्होंने कहा कि वह लोगों के कल्याण के काम करना जारी रखेंगे। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा को प्रदेश हित में मेरे द्वारा किए जा रहे जनहितैषी कार्य रास नहीं आए इसलिए भय व बौखलाहट में वो मेरे खिलाफ निरंतर साजिश रचती रही। हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन देकर कर्नाटक में बंधक बनाने का काम किया, जिसकी सच्चाई देश की जनता ने प्रतिदिन देखी।

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मेरी सरकार को अस्थिर कर भाजपा प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ विश्वासघात कर रही है। उसे यह भय सता रहा है कि यदि मैं प्रदेश की तस्वीर बदल दूंगा तो प्रदेश से भाजपा का नामोनिशान मिट जाएगा। कमलनाथ ने 15 महीनों में किसान ऋण माफी योजना, इंदिरा ज्योति योजना और सामाजिक सुरक्षा पेंशन राशि बढ़ाने सहित अपने कामों को विस्तार से बताते हुए कहा कि इन कामों की सच्चाई प्रदेश की जनता जानती है और मुझे जनता के प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, भाजपा के प्रमाण पत्र की नहीं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस का वचन पत्र पांच साल के लिए था लेकिन 15 माह में अपने वचन पत्र के करीब 400 वचनों को पूरा किया जबकि 21,000 अधूरी घोषणाओं वाली भाजपा को हमारा वचनों को पूरा करना रास नहीं आया। देश की जनता ने कांग्रेस को पांच साल दिए जबकि भाजपा को 15 साल दिए थे। जनता ने उनके कार्यकाल और मेरे 15 माह के कार्यकाल को देखा है। कमलनाथ ने दावा किया कि इन 15 माह में प्रदेश का हर नागरिक गौरवान्वित हुआ है।

कमलनाथ ने कहा 'मैने 15 माह में प्रदेश को माफिया मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया लेकिन भाजपा नहीं चाहती थी कि माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही हो क्योंकि ये सारे माफिया भाजपा की 15 साल की सरकार में ही पनपे हैं। इसलिए कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की भाजपा ने साजिश रची और प्रदेश को भयमुक्त और सुरक्षित प्रदेश बनने से रोकने का काम किया।'

उन्होंने कहा कि भाजपा को डर था कि पिछले 15 साल के घोटाले और कारनामों के खुलासा होने का समय आ गया। इन घोटाले के आपराधिक तत्वों और भ्रष्टचारियों द्वारा कमाए धन का उपयोग कर भाजपा ने मेरी सरकार को गिराने का षडयंत्र किया।

कमलनाथ ने अंत में कहा कि भाजपा सोचती है कि यह मेरे प्रदेश को हराकर खुद जीत जायेंगे, ना ये मेरे प्रदेश को हरा सकते हैं ना मेरे हौसले को, ये जितना षडयंत्र मेरे प्रदेश के साथ करेंगे उतना ही मेरा विश्वास दृढ़ होगा।

मालूम हो कि ज्योतिरादित्या सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के 11 मार्च को विधायक के पद से अपना त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ। इनमें से छह के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत कर लिये थे, जबकि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे कल देर रात को मंजूर हुए थे। इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी विधायक वर्तमान में बेंगलुरू में ठहरे हुए हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.