सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरReuters

फेसबुक की स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सएप के जरिए मोबाइल फोन का डेटा लीक होने को लेकर सरकार गंभीर है। मेसेजिंग एप व्हाट्सएप ने 5 महीने में कई बार सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात का दावा किया है। हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन मुलाकात में होनेवाली चर्चा पूरी तरह से तकनीक आधारित थी। इन बैठकों में तकनीक से जुड़े पहलू पर ही चर्चा की गई, डेटा लीक होने को लेकर कोई बात नहीं हुई थी।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि व्हाट्सएप की ओर से सरकारी एजेंसी सीईआरटी-इन को कुछ जानकारी दी गई थी। हालांकि, इन सूचना में इजरायल की कंपनी द्वारा जासूसी और डेटा लीक होने की कोई सूचना नहीं थी। सूत्रों का यह भी कहना है कि व्हाट्सएप की ओर से भारतीय यूजर्स की सूचना और डेटा लीक होने के खतरे से सरकार को आगाह नहीं किया गया।

कंपनी ने भारतीय यूजर्स की निजता प्रभावित होने का कोई संकेत नहीं दिया। सरकारी सूत्रों ने इसकी पुष्टि के लिए एजेंसी के साथ साझा की गई जानकारी के कुछ स्क्रीनशॉट भी शेयर किए हैं।

पहले भी उच्च स्तरीय सरकारी सूत्रों ने बताया कि मेसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए कंपनी की कोशिश सरकार पर दबाव बनाने की हो सकती है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस सारे विवाद के जरिए सरकार पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए दबाव बनाने की है। सूत्र का कहना है कि कंपनी ट्रेसिबिलटी के नाम पर सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस विवाद का प्रयोग कर सकती है।

सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि व्हाट्सएप ने जून से अब तक हुई कई दौर की बातचीत में एक बार भी पेगासस हैकिंग घटना का उल्लेख नहीं किया। इसे लेकर सरकार चिंतित है। उसने कहा कि सरकार दुर्भावनापूर्ण संदेशों की सामग्री के बजाय उसका स्रोत जानने पर जोर देगी। इसके अलावा सरकार जासूसी की घटना की विस्तार से जानकारी देने के लिए भी कहेगी।

सरकार हैकिंग मामले के खुलासे के समय को लेकर भी सवाल कर रही है। यह इस कारण महत्वपूर्ण हो जाता है कि केंद्र सरकार ने देश में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के उपाय के लिए उच्चतम न्यायालय से तीन महीने का समय मांगा है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.