आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए विश्व बैंक के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी भारत के संभावित विकास दर को घटा दिया है। आईएमएफ ने भारत के विकास दर को लेकर अप्रैल में लगाए गए अनुमान में 1.2 फीसदी की कटौती करते हुए इसके 6.1 फीसदी रहने की संभावना जताई है।
International Monetary Fund (IMF) projects India's economic outlook growth at 7% in 2020. https://t.co/zMO8MfELTM
— ANI (@ANI) 15 October 2019
हालांकि, 2020 में विकास दर 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई है। आईएमएफ ने 2019 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया है। पिछले साल यह 3.8 प्रतिशत थी।
आईएमएफ ने अप्रैल में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत 7.3 फीसदी की गति से आगे बढ़ेगा। हालांकि 3 महीने बाद इसने अनुमान में 0.3 फीसदी की कटौती की थी। 2018 में विकास दर 6.9 फीसदी रही थी।
यहां बताना जरूरी है कि इससे पहले रविवार को विश्व बैंक ने भी अपने ताजा अनुमान में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 2019 के लिए घटाकर 6 प्रतिशत किया है। 2018 में विश्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि के 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
आईएमएफ ने अपने बयान में कहा है कि अप्रैल 2019 विश्व आर्थिक अनुमान के संबंध में यह संशोधन किया गया है। घरेलू मांग के लिए उम्मीद से अधिक कमजोर परिदृश्य की वजह से वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की गई है। हालांकि, मौद्रिक नीति के सरल होने, कॉरपोरेट इनकम टैक्स की दर में कटौती और ग्रामीण उपभोग को समर्थन देने के लिए सरकारी कार्यक्रमों से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
विकास दर को घटाने के अनुमान से केंद्र सरकार की देश को पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने की कवायद को भी झटका लग सकता है। अगर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर देखने को या फिर धीमी रफ्तार रहेगी तो इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा।
फिलहाल देश में कई सेक्टरों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुराने स्टॉक को भी नहीं खरीद रहे हैं। पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के लिए विकास दर में तेजी रखने के लिए कोशिशों को जारी रखना होगा।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।