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विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट जारी रहने से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में धीमी पड़कर 4.7 प्रतिशत रही। यह किसी एक तिमाही में पिछले सात साल का न्यूनतम स्तर है। सरकार के समक्ष अगली बड़ी चुनौती कोरोना वायरस के बढ़ते आर्थिक प्रभाव से निपटने की है जो कि चीन के बाद दुनिया के कई देशों में सिर उठाने लगा है।

वित्त वर्ष 2019- 20 की तीसरी तिमाही में त्यौहार तथा खरीफ फसल की कटाई के बाद ग्रामीण खर्च बढ़ने के बावजूद आर्थिक वृद्धि में सुस्ती रही। यह लगातार तीसरी तिमाही है जब आर्थिक वृद्धि में नरमी है और 27 तिमाहियों में सबसे कम है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी। इससे पिछले तिमाही (जुलाई- सितंबर 2019) की यदि बात की जाये तो यह 4.5 प्रतिशत रही जो कि संशोधित आंकड़ों में बढ़कर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। इस लिहाज से तीसरी तिमाही की वृद्धि दर इसस नीचे रही।

इसी प्रकार, 2019-20 की पहली तिमाही के लिये जीडीपी वृद्धि दर का संशोधित आंकड़ा पहले के पांच प्रतिशत से बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गया है। चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही की जीडीपी वृद्धि 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद सबसे कम है। उस समय वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रही थी।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये 5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बरकरार रखा है जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है। पहली तिमाही में संशोधित वृद्धि दर के 5.6 प्रतिशत होने के बावजूद भी 2019-20 में वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का ही अनुमान जताया गया है। आंकड़ों के अनुसार तीसरी तिमाही में कृषि उत्पादन में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो इससे पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 3.1 प्रतिशत थी।

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खनन में वृद्धि आलोच्य तिमाही में 3.2 प्रतिशत जबकि इससे पिछली तिमाही में 0.2 प्रतिशत थी। विनिर्माण उत्पादन में 2019-20 की तीसरी तिमाही में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आयी। बिजली उत्पादन में वृद्धि घटकर 0.7 प्रतिशत रही जबकि पूर्व में इसमें 3.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

तीसरी तिमाही में अच्छी खबर निजी अंतिम खपत व्यय में सुधार की है। इसमें 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सरकार आर्थिक वृद्धि को गति देने के उपाय कर रही है लेकिन आने वाले समय में कोरोना वायरस से आर्थिक क्षेत्र में दिख रहा सुधार प्रभावित हो सकता है।

जीडीपी आंकड़े पर अपनी प्रतिक्रिया में आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवती ने कहा, ''हम पहले ही वृद्धि दर के निचले स्तर से उबर चुके हैं।'' उद्योग मंडल एसोचैम ने भी कहा कि कोयला, सीमेंट और कृषि जैसे क्षेत्रों में सुधार के संकेत हैं। हालांकि, इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि अल्पकाल में आर्थिक बेहतरी के कोई संकेत नहीं दिख रहे।

आईडीएफसी एएमसी के अर्थशास्त्री (कोष प्रबंधन) एस बालासुब्रमणियम ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि कोरोना वायरस से प्रभावित हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर है कि यह कितने दिन रहता है और कितनी तेजी से फैलता है।

डेलायट इंडिया के अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि भारत विदेशों में निवेश कम है। इसका कारण भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सीमित उपस्थिति है। लेकिन इसके बावजूद वैश्विक स्तर पर नरमी से इसके भी प्रभावित होने की आशंका है। इसका कारण विनिर्माण और मध्यवर्ती वस्तुओं की कमी का होना है जिससे वैश्विक स्तर पर उद्योग और कंपनियां प्रभावित हो सकती हैं।

उन्होंने कहा, ''निवेश में अभी नरमी है और पिछली दो तिमाहियों में इसमें गिरावट आयी है। हाल-फिलहाल इसमें तेजी की संभावना कम है। वाहन, प्रौद्योगिकी, औषधि और फैशन जैसे उद्योग चीन से कच्चे माल का आयात करते हैं। अगर चीन में बंद लंबे समय तक रहता है, भारतीय उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।''

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि चूंकि एनएसओ ने 2019-20 में जीडीपी वृद्धि 5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है, ऐसे में चौथी तिमाही में तीसरी तिमाही के समान आर्थिक वृद्धि की जरूरत होगी जिसे हासिल किया जा सकता है। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.3 प्रतिशत थी।

एनएसओ के बयान के अनुसार (2011-12) के स्थिर मूल्य पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी का मूल्य 36.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो 2018-19 की इसी तिमाही में 35 लाख करोड़ रुपये रहा था। यानी इसमें 4.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

मौजूदा बाजार मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय 2019-20 में 6.3 प्रतिशत बढ़कर 1,34,432 रुपये रहने का अनुमान है जो एक साल पहले 1,26,521 रुपये थी।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.