सांकेतिक तस्वीर
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान लेने वाले आत्मघाती आतंकी हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए घाटी के हुर्रियत और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी, शब्बीर शाह को मिली सरकारी सुरक्षा वापस ले ली है. इसके अलावा इन्हें मिल रही तमाम सरकारी सुविधाएं भी छीन ली गई है. अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इन पांच नेताओं और दूसरे अलगाववादियों को किसी भी तरह से सुरक्षा कवर नहीं दिया जाएगा.

हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश में पाकिस्तान परस्त और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है. अधिकारियों ने बताया है कि पुलिस इस बात की समीक्षा करेगी कि क्या किसी अन्य अलगाववादी को कोई सुरक्षा या सुविधा मिली हुई है तो उसे तत्काल हटाया जाए.

प्रशासन के इस फैसले के बाद आज शाम तक पाकिस्तान और आतंक परस्त इन नेताओं को दी गई सारी सुरक्षा, सारी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. सरकार के इस निर्णय के बाद अब किसी भी अलगाववादी नेता को किसी भी वजह से सरकारी खर्चे पर किसी तरह की सुरक्षा या सुविधा मुहैया नहीं कराई जाएगी.

आपको बता दें कि हमले के बाद कश्मीर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) से संपर्क रखने वालों को दी जा रही सुरक्षा की समीक्षा की जायेगी. इससे पहले एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार के सुझाव पर ऐसे व्यक्तियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा की गई, जिनपर आईएसआई के साथ संबंधों का शक है.

जम्मू-कश्मीर सरकार के गृह सचिव ने अलगाववादियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया है. गौरतलब है कि ज्यादातर अलगाववादियों को जम्मू-कश्मीर पुलिस सुरक्षा मुहैया कराती है.

14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जानकारी ली थी. जैश ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि आतंकी आदिल डार ने इस हमले को अंजाम दिया था. जैश का सरगना मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में अपने कुकृत्यों को अंजाम देता है.