सांकेतिक तस्वीर
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पत्रिका जेबीएमआर में प्रकाशित एक अध्ययन का कहना है कि वजन घटाने की सर्जरी के फलस्वरूप न केवल बोन माॅस और उनकी ताकत में कमी आ सकती है बल्कि हड्डी टूटने का खतरा भी बहुत हद तक बढ़ जाता है.

अध्ययन के अनुसार जैसे ही शरीर सर्जरी से गुजरता है वैसे ही मरीज के कंकाल में परिवर्तन होना प्रारंभ हो जाता है. इसके अलावा एक बार वजन के स्थिर हो जाने के बाद भी यह परिवर्तन जारी रहता है.

प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया के अनुसार, अमरीका के सैन फ्रांसिसको स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एनी शाॅफर का कहना है, ''मौजूदा क्लीनिकल दिशानिर्देश हड्डियों के स्वास्थ्य से संबंधित जरूर होते लेकिन अधिकांश सिफारिशें बेहद निम्न गुणवत्ता वाले सबूतों या विशेषज्ञों की राय पर आधारित होती हैं.''

वजन घटाने की सर्जरी के बाद पोषण के चलते, यांत्रिक अनलोडिंग या हार्मोन संबंधी कारकों के चलते हड्डियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. शारीरिक संरचना और अस्थि मज्जा की चरबी में परिवर्तन भी हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं.

हालांकि अधिकांश अध्ययनों में राॅक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास प्रक्रिया के प्रभावों की जांच की गई है, शोधकर्ताओं को अभी भी नवीनतम स्लीव गैस्ट्रोक्टोमी के साइड इफेक्ट्स को लेकर बहुत अधिक यकीन नहीं है.

हालांकि राॅक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास प्रक्रिया के दौरान पेट को एक ऊपरी छोटे पाउच और एक बड़ी निचले पाउच में बांटा जाता है और इसके बाद छोटी आंत को दोनों से जोड़ने के लिये पुर्नव्यवस्थित किया जाता है दूसरी तरफ स्लीव गैस्ट्रोक्टोमी में पेट के एक भाग को ही हटा दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप खाने वाले भोजन की मात्रा सीमित कर दी जाती है.