गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बुधवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. 1998 के पालनपुर ड्रग प्लांटिंग केस में हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह कार्रवाई हुई है. एक वकील को झूठे मामले में फंसाने को लेकर भट्ट समेत 7 लोगों से पुलिस ने पूछताछ की.
इस मामले में कुल सात लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनमें तीन पूर्व आईपीएस अधिकारी शामिल हैं और रिटायर्ड पीआई व्यास से भी पूछताछ चल रही है. सीआईडी का कहना है कि जिन्हें हिरासत में लिया गया है, उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं.
गौरतलब है कि संजीव भट्ट जब बनासकांठा के डीसीपी थे, उस वक्त एक वकील को नार्कोटिक्स के झूठे मामले में फंसाने का उनपर आरोप है. उस वक्त करीब 8 ऐसे नार्कोटिक्स मामले थे जिसमें विवाद हुआ था. इनमें कुछ आरोपी राजस्थान के हैं. राजस्थान के आरोपियों ने संजीव भट्ट पर झूठा केस दायर कर उनसे पैसे एंठने का आरोप लगाया था. फिलहाल गांधीनगर सीआईडी क्राइम ब्रांच में उनसे पूछताज की जा रही है.
Dismissed IPS officer Sanjiv Bhatt has been detained by CID (Crime) of Gujarat in connection with Palanpur drug planting case of 1998. Probe underway after HC orders. Interrogation of Sanjiv Bhatt & seven others underway. 2 more former police officers also involved.
— ANI (@ANI) September 5, 2018
1998 के इस केस में राजस्थान के एक वकील पर होटल में अफीम रखने का केस लगाया गया था, बाद में ये केस झूठा साबित हुआ और पूरे देश में वकीलों का गुस्सा फूट पड़ा. राजस्थान में वकीलों की हड़ताल एक साल तक चलती रही. इस केस में एक जज को सेवानिवृत्ति भी लेनी पड़ी थी.
1998 में संजीव भट्ट बनासकांठा एसपी के रूप में तैनात थे. उसी दौरान अहमदाबाद सेशंस जज आरआर जैन ने एक मामले में संजीव भट्ट से मदद मांगी थी. दरअसल जज आरआर जैन के नजदीक के रिश्तेदार फुटरमल की एक जमीन राजस्थान के पाली में थी. उनका पाली के वकील राज पुरोहित के साथ विवाद चल रहा था. ये विवाद मकान खाली करने को लेकर था. फुटरमल चाहते थे कि राजपुरोहित उनका मकान खाली करें, लेकिन वह उनका मकान खाली नहीं कर रहे थे. इसी मामले में संजीव भट्ट ने जज आरआर जैन की मदद की थी और मकान खाली कराया था. इसी मामले में कहा जाता है कि संजीव भट्ट ने वकील राजपुरोहित के खिलाफ होटल में अफीम रखाकर उन्हें फंसाया था.
इस केस में पुलिस वकील राजपुरोहित के सामने ड्रग प्लांटिंग का कोई सबूत पेश नहीं कर पाई. एक वकील के ऐसे केस में फंसने के कारण पूरे देश में इसका विरोध हुआ. खासकर राजस्थान में तो वकीलों ने एक साल तक हड़ताल की. इसके बाद राजस्थान सीआईडी ने एक केस दर्ज किया. इस मामले में जज आरआर जैन के रिश्तेदार फुटरमल की गिरफ्तारी हुई. इसी केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में एक मामला लंबित है. इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए जज आरआर जैन को सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहा गया. लेकिन इन सबके बावजूद संजीव भट्ट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. थोड़े दिनों पहले गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईडी को इस मामले की जांच के लिए एक टीम बनाने का आदेश दिया गया था. इसके बाद संजीव भट्ट और दूसरे पुलिस अफसरों को पुलिस हिरासत में लिया गया है.
भट्ट को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से 2015 में बर्खास्त कर दिया गया था. संजीव भट्ट ने 2011 में मोदी पर 2002 के दंगों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था.