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सांकेतिक तस्वीरReuters file

1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट को लेकर नए-नए कयास लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि मध्यम वर्ग को राहत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दोगुनी कर सकते हैं, जो वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये हो सकता है, जबकि मेडिकल खर्चों और परिवहन भत्ते को भी फिर से बहाल कर सकते हैं. इससे नोटबंदी के कारण बेहाल मध्य वर्ग को थोड़ी राहत मिलेगी.

हालांकि, अंतरिम बजट में बहुत अधिक मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार चुनावों को देखते हुए मध्य वर्ग को खुश करने की कोशिश करेगी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि इसलिए टैक्स स्लैब को सुव्यवस्थित करने की योजना बनाई गई है, जो किसी भी स्थिति में आगामी प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टैक्स कोड) के अनुरूप होंगे.

इसमें यह समस्या आ सकती है कि डायरेक्ट टैक्स कोड रिपोर्ट के आने से पहले आम बजट आ जाएगा. रिपोर्ट जारी होने से पहले दरों से छेड़छाड़ के कारण विवाद हो सकता है. डायरेक्ट टैक्स कोड के दायरे में ज्यादा-से-ज्यादा टैक्स असेसी को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश की जाएगी, ताकि अलग-अलग वर्गों के करदाताओं के लिए अधिक न्यायसंगत प्रणाली बनाई जाए, कॉर्पोरेट टैक्स में कमी की जाए और व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाई जाए.

वर्तमान में 2.5 लाख रुपये की आय को निजी आयकर से छूट प्राप्त है, जबकि 2.5-5 लाख रुपये के बीच की सालाना आय पर 5 फीसदी कर लगता है, जबकि 5-10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 फीसदी कर लगता है. हालांकि, 80 साल के अधिक की उम्र के नागरिकों को 5 लाख रुपये सालाना की आय पर कर छूट प्राप्त है.

आयकर की मौजूदा दर
आयकर की मौजूदा दर

इसके अलावा पिछले साल 5 लाख रुपये की आय वालों के लिए सालाना 15 हजार रुपये तक के मेडिकल खर्चों और 19,200 रुपये तक के परिवहन भत्तों को हटाकर उसकी जगह 40 हजार रुपये की मानक कटौती लाया था. इसे भी वापस बहाल किया जा सकता है. हालांकि इससे बहुत अधिक फायदा तो नहीं होगा, लेकिन मध्य वर्ग का उत्साह बढ़ेगा.

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार मध्‍यमवर्ग के लोगों को लुभाने में जुटी हुई है. इसी के तहत टैक्‍स स्‍लैब में भी बदलाव का विचार किया जा रहा है. दरअसल, मध्‍यम वर्ग के लोगों को बीजेपी का बड़ा वोटबैंक माना जाता है. लेकिन बीते कुछ सालों में टैक्‍स की मार की वजह से इस वर्ग के लोग सरकार से नाराज हैं.