मीसा भारती
मीसा भारतीIANS File Photo

चारा घोटाले में जेल की सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के रामकृपाल यादव से चुनाव हारने के बाद अपनी सांसद निधि से 15 करोड़ रुपये की परियोजना की मंजूरी वापस ले ली। समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक मीसा के फैसले से योजना विभाग के अधिकारी परेशान हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि उनके विभाग को परियोजना के लिए 6 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी और अब वापस लिए जाने पर उन्हें कागजी कार्रवाई पर काफी समय और ऊर्जा खर्च करनी पड़ेगी। विपक्ष ने भी मीसा के इस फैसले को लेकर उन पर निशाना साधा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जुलाई 2016 में उच्च सदन के लिए चुनी गई राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बेटी ने राज्यसभा सांसद के बतौर अपने कार्यकाल के शुरुआती वर्षों में अपनी सांसद निधि का इस्तेमाल नहीं किया था।

सांसद निधि यानि एमपीलैड योजना के तहत, संसद के किसी भी सदन के सदस्य को अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों को करने के लिए प्रतिवर्ष पांच करोड़ रुपये मिलते हैं।

खबर के मुताबिक, आम चुनावों से ठीक पहले मीसा ने पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले पटना के ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य के लिए अपने फंड से पैसे मंजूर किए थे। चुनाव में बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव से हारने के बाद उन्होंने गुरुवार को परियोजनाओं को दी गई मंजूरी वापस ले ली।

योजना विभाग के एक अधिकारी ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अचानक लिए गए फैसले के कारण वह परेशानी में पड़ गए हैं।

अधिकारी ने कहा, 'परियोजना के लिए 15 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी। इसमें से लगभग 6 करोड़ रुपए उनके विभाग को स्वीकृत किए गए थे। अब मंजूरी वापस लिए जाने पर हमें बहुत सारी कागजी कार्रवाई पर समय और ऊर्जा खर्च करनी होगी।' आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है इसलिए अभी वह इस मामले में कुछ नहीं कह सकते।

वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह 'टाइगर' ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि इससे जनता के बीच बहुत गलत संदेश जाता है। किसी विशेष क्षेत्र के लोगों ने आपके लिए वोट किया है या नहीं, इसके आधार पर भेदभाव अलोकतांत्रिक है।

जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। एक निर्वाचित प्रतिनिधि उन लोगों का भी प्रतिनिधित्व करता है जिनके वोट उसे नहीं मिले। चुनावी हार के कारण परियोजनाओं को वापस लेना उचित नहीं है।

आरजेडी की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्रा ने भी मीसा के इस निर्णय को अस्वीकार करते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि एक बार परियोजना को मंजूरी मिल जाने के बाद इसे लागू किया जाना चाहिए। अनुमोदन को वापस लेना उचित नहीं। हालांकि, मीसा इस पर अपनी प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो सकीं।

साल 2008 के परिसीमन से अस्तित्व में आई पाटलिपुत्र लोकसभा सीट लालू परिवार के लिए हमेशा प्रतिष्ठा का मुद्दा बनी रही है। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद खुद 2009 में इस सीट पर अपने पुराने विश्वासपात्र और जेडीयू उम्मीदवार रंजन यादव के हाथों पराजित हो गए थे।

साल 2014 में लालू द्वारा अपनी बड़ी पुत्री मीसा भारती को इस सीट से उम्मीदवार बनाए जाने पर बगावती रुख अपनाते हुए उनके विश्वासपात्र रहे रामकृपाल यादव बीजेपी में शामिल हो गए और इस सीट से चुनाव लड़कर मीसा को पराजित किया था।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।