-
ANI

2019 के लोकसभा चुनावों के सातों चरणों में 8049 उम्मीदवार विभिन्न दलों और बतौर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से 19 प्रतिशत उम्मीदवार आपराधिक छवि वाले हैं। जबकि 13 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। इनमें से 55 उम्मीदवारों पर हत्या और 9 पर दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले अदालत में लंबित हैं। वहीं 49 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 3 या उससे ज्यादा उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की सोमवार को जारी सातों चरणों के रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनावों में 8049 उम्मीदवारों में से 7929 उम्मीदवारों के शपथपत्र के विश्लेषण में सामने आया कि 1500 उम्मीदवारों ने ऊपर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए हैं। वहीं इनमें से 1070 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक मुकदमे जैसे रिश्वतखोरी, दुष्कर्म, हत्या, हत्या का प्रयास और महिलाओं पर अत्याचार से मामले दर्ज हैं।

वहीं 2014 में 8205 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, इनमें से 1404 (17 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे। वहीं इनमें से 908 (11 प्रतिशत) उम्मीदवार ऐसे थे, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं 2009 के लोकसभा चुनावों में 7810 उम्मीदवारों में से 1158 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए थे, जिनमें से 608 (8 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।

खास बात यह है कि 95 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने खुद पर भड़काऊ भाषण जैसे मामले दर्ज होने का खुलासा किया है। वहीं 47 उम्मीदवार अपहरण जैसे मुकदमों का सामना कर रहे हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) के संस्थापक और आईआईएम, अहमदाबाद में प्रोफेसर रह चुके जगदीप छोकर के मुताबिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इन आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों में से 56 उम्मीदवार दोषी साबित हो चुके हैं। वहीं हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल उम्मीदवारों की संख्या 55, हत्या का प्रयास जैसे अपराधों में शामिल 184 उम्मीदवार, महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित करने वाले 129 उम्मीदवारों में से 9 ने खुद पर दुष्कर्म जैसे मुकदमे से संबंधित मामले घोषित किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक दागी उम्मीदवारों को दिकट देने में राजनीतिक दल भी पीछे नहीं हैं। भाजपा ने 433 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिनमें 175 उम्मीदवारों (29 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि इनमें से 124 पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। वहीं कांग्रेस के 419 में से 164 (26 प्रतिशत) उम्मीदवार दागी हैं, जिनमें से 107 गंभीर आपराधिक छवि वाले हैं। बसपा के 381 में से 85 (16 प्रतिशत) उम्मीदवार दागी है, जिनमें से 61 पर संगीन मामले हैं। वहीं सीपीआई(एम) के 69 में 40 उम्मीदवार दागी हैं, जिनमें से 24 उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक इन चुनावों में निर्दलीय 3370 उम्मीदवारों में से 400 (12 प्रतिशत) ऐसे हैं, जो दागी छवि वाले हैं, जबकि 292 (9 प्रतिशत) पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों में 265 निर्वाचन क्षेत्र (49 प्रतिशत) ऐसे हैं, जहां 3 या उससे ज्यादा उम्मीदवारों ने खुद पर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इन्हें रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है। वहीं 2014 में 245 (45 प्रतिशत) और 2009 में 196 (36 प्रतिशत) ऐसे निर्वाचन क्षेत्र थे।