एक तरफ जहां राजनेता आरक्षण जैसे गंभीर मसले पर अक्सर कुछ भी कहने से बचते रहते हैं. वहाँ रांची में आयोजित लोकमंथन कार्यक्रम के समापन समारोह में शामिल होने आईं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस मसले पर खुलकर अपनी बात रखी. मंच से अपनी बात रखते हुए सुमित्रा महाजन ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने आरक्षण सिर्फ 10 वर्ष के लिए लागू करने की बात कही थी लेकिन यहां हर 10 वर्ष बाद उसे फिर से 10 वर्ष या 20 वर्ष के लिए बढ़ा दिया जा रहा है. केवल आरक्षण से देश का उद्धार नहीं होने वाला.
Ambedkarji's himself said that reservation is required for only 10 years. He visualised equal development within 10 years. But it didn't happen. Even those present in Parliament kept on extending reservation for 10 years: Lok Sabha Speaker Sumitra Mahajan in Ranchi (30.9) pic.twitter.com/dap0YoqBO9
— ANI (@ANI) October 1, 2018
महाजन ने कहा, "अंबेडकरजी का विचार दस साल तक आरक्षण को जारी रखकर सामाजिक सौहार्द लाना था. लेकिन, हमने यह किया कि हर दस साल पर आरक्षण को बढ़ा दिया. क्या आरक्षण से देश का कल्याण होगा?" उन्होंने समाज और देश में सामाजिक सौहार्द के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का अनुसरण करने के लिए कहा.
सुमित्रा महाजन ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या केवल आरक्षण देने से देश का उत्थान हो सकेगा? आरक्षण का लाभ लेने वाले लोगों को आत्मचिंतन करना चाहिए कि खुद के विकास हो जाने के बाद उन्होंने समाज को क्या कुछ दिया. हालांकि यह कहते हुए सुमित्रा महाजन ने यह भी साफ कहा कि वह आरक्षण की विरोधी नहीं है.
उन्होंने कहा, "जब हम सामाजिक समरसता की बात हम करते हैं, तब हमें आत्मचिंतन और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. जिन्हें आरक्षण का लाभ मिला उन्हें भी और जिनको नहीं मिला उन्हें भी. आज हमारी सामाजिक स्थिति क्या है. हो सकता है मुझे आरक्षण मिला. मैं उस समाज से आ रही हूं और मैं अगर जीवन में कुछ बन गई तो मुझे सोचना चाहिए मैंने समाज को बांटा कितना है. मैंने समाज को साथ में लेकर कितना सहारा दिया है. यह सोचना बहुत जरूरी है और यह सामूहिक रूप से सोचना पड़ेगा. जब हम समाज और प्रजातंत्र की बात करते हैं तो सोचना पड़ेगा. क्या मेरा समाज पिछड़ तो नहीं गया. मैं तो आगे बढ़ गई, क्या उसका फायदा उन्हें मिला. क्या आरक्षण की यही कल्पना है."
Mujhe aarakshan mila, main kuch jivan mein ban gaya to maine jivan ke kitne chan aise bitaye soochne mein ki maine mere samaaj ko baanta kitna hai? Yeh sochna bahut zaroori hai. Kya uska fayeda hai? Kya aarakshan ka yahi kalpana hai?: LS Speaker Sumitra Mahajan in Ranchi (30.9) pic.twitter.com/9ZChIqMfHN
— ANI (@ANI) October 1, 2018
इस मौके पर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वामपंथी झुकाव वाले इतिहासकारों पर विदेश में देश की नकारात्मक छवि पेश करने का आरोप लगाया.उन्होंने कहा, "हमारे लिए सभी धर्म समान हैं। आज देश और समाज को तोड़ने वाली ताकतें सक्रिय हैं. सरल स्वभाव आदिवासियों का धर्म परिवर्तन किया गया। लेकिन, हमारी सरकार ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाया है."
गौरतलब है कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन बीते दिनों एससी-एसटी कानून पर उपजे विवाद के बाद इसे दलितों के हाथ में दिया चॉकलेट बता चुकी हैं. एससी-एसटी एक्ट पर नाराज सवर्णों को समझाते हुए उन्होंने कहा था, "मान लीजिये कि अगर मैंने अपने बेटे के हाथ में बड़ी चॉकलेट दे दी और मुझे बाद में लगा कि एक बार में इतनी बड़ी चॉकलेट खाना उसके लिये अच्छा नहीं होगा. अब आप बच्चे के हाथ से वह चॉकलेट जबर्दस्ती लेना चाहें, तो आप इसे नहीं ले सकते. ऐसा किये जाने पर वह गुस्सा करेगा और रोयेगा. मगर दो-तीन समझदार लोग बच्चे को समझा-बुझाकर उससे चॉकलेट ले सकते हैं."
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "किसी व्यक्ति को दी हुई चीज अगर कोई तुरंत छीनना चाहे, तो विस्फोट हो सकता है." उन्होंने सम्बद्ध कानूनी बदलावों को लेकर विचार-विमर्श की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "यह सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है कि पहले एक तबके पर अन्याय किया गया था, तो इसकी बराबरी करने के लिये अन्य तबके पर भी अन्याय किया जाये." लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "हमें अन्याय के मामले में बराबरी नहीं करनी है. हमें लोगों को न्याय देना है. न्याय लोगों को समझाकर ही दिया जा सकता है. सबके मन में यह भाव भी आना चाहिये कि छोटी जातियों पर अत्याचार नहीं किया जायेगा."