कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने वाली कंपनी एचपी द्वारा 10,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा के बाद अब बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी ने भी 10 हजार कर्मचारियों को हटाने का फैसला किया है। बैंक का कहना है कि लागत घटाने के लिए उसे ऐसा करना पड़ रहा है।
बता दें कि इस महीने के आखिर में तीसरी तिमाही के परिणामों की रिपोर्ट की घोषणा होगी और इसके साथ ही नौकरी में कटौती की शुरुआत की घोषणा भी हो सकती है। पहले बैंक 4,700 नौकरियों में कटौती करेगा। अंतरिम सीईओ नोइल क्विन की योजना पूरे बैंकिंग ग्रुप की लागत को कम करना है। वैश्विक स्तर पर एचएसबीसी के कर्मचारियों की संख्या 2.38 लाख है।
दैनिक अखबार फाइनैंशल टाइम्स ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया। इससे पहले, कंपनी के सीईओ ने अपना पद छोड़ दिया था। साथ ही बैंक ने वैश्विक परिदृश्य का हवाला देते हुए 4,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की थी। इससे पहले एचएसबीसी ने उसके वैश्विक परिचालन में भारत स्थित कार्यालयों से मदद करने वाले 150 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था।
बैंक ने कहा था कि, उसने वैश्विक स्तर पर अपने परिचालन को नए सिरे से व्यवस्थित करने की प्रक्रिया के तहत यह कदम उठाया है। मुख्य रूप से पुणे और हैदराबाद में बैंक के मध्य प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों को हटाया गया है।
'फाइनैंशल टाइम्स' की खबर के अनुसार, हालिया छंटनी ज्यादातर उच्च-वेतन वाले पदों पर होगी। यह कंपनी के नए प्रमुख नोएल क्विन के लागत कम करने के अभियान का हिस्सा है। कंपनी गिरती ब्याज दरों , ब्रेग्जिट और व्यापार युद्ध के प्रभाव को समायोजित करने की प्रक्रिया में हैं।
अखबार ने अज्ञात स्त्रोतों के हवाले से कहा , 'हम सालों से जानते हैं कि हमें लागत के मोर्चे पर कुछ करने की जरूरत है। कर्मचारी, लागत का एक बड़ा हिस्सा हैं। अब हम इसे समझ रहे हैं।' पिछले महीने बैंक ने अचानक समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जॉन फ्लिन्ट के अपने पद से हटने की घोषणा की थी। वे इस पद पर सिर्फ 18 महीने रहे। हालांकि , बैंक ने इसकी वजह नहीं बताई थी।
इसी समय बैंक ने यह भी खुलासा किया था कि वह वैश्विक स्तर पर अपने कर्मचारियों की संख्या में 2 प्रतिशत की कटौती करेगी अर्थात् करीब 4,000 नौकरियां कम करेगी।
एसएसबीसी ने इस मामले में कोई बयान देने से इनकार किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एचएसबीसी के एक प्रवक्ता ने नौकरियों की कटौती पर टिप्पणी करने से इनकार किया है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।