
डोकलाम गतिरोध के दो साल बाद चीन की सेना ने एक बार फिर से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है। मिली जानकारी के मुताबिक चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में पूर्वी डेमचोक, कोयूल और डुंगटी इलाके में 6 किलोमीटर अंदर तक घुसपैठ करने की हिमाकत की। बात यहीं नहीं समाप्त हुई। उन्होंने घुसपैठ करने के बाद अपना झंडा भी लहराया । चीनी सेना की घुसपैठ ऐसे समय पर हुई है, जब स्थानीय निवासी तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे हैं। इस दौरान चीनी सैनिक वहां पहुंचे और उन्हें जन्मदिन मनाने से रोक दिया।
समाचार चैनल टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक डेमचोक की सरपंच ने चीन की सेना के घुसपैठ की पुष्टि की है। ये सैनिक सैन्य वाहनों में भरकर भारतीय सीमा में आए और चीनी झंडा लहराया। डेमचोक की सरपंच उरगेन चोदोन ने बताया कि चीन के सैनिक भारतीय सीमा में आए। उन्होंने बताया कि चीनी सैनिकों के डेमचोक में आने का मकसद कुछ और नजर आ रहा है।
सरपंच ने समाचार चैनल टाइम्स नाउ को बताया कि चीन के सैनिक ऐसे समय पर इस इलाके में आए हैं जब स्थानीय लोग दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे हैं। उरगेन ने बताया कि चीन के सैनिकों का डेमचोक में आना चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि चीन इस तरह की गतिविधि को अंजाम देकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाहता है ताकि अगर कभी बातचीत हो तो उस समय इस क्षेत्र पर अपना दावा किया जा सके। चीन यह कह सकता है कि वहां चीन का झंडा है और उसका टेंट है, ऐसे में यह इलाका उसका है।
चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। यहां वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक नाले के पास अभी भी चीन के दो टेंट लगे हुए हैं। अगस्त 2018 में चीन ने इस क्षेत्र में घुसपैठ की थी और कई टेंट स्थापित किए थे। भारत विरोध के बाद उसने कई टेंट हटाए लेकिन अभी भी दो टेंट वहां मौजूद हैं। यही नहीं चीन ने सीमा के उस पार बड़ी संख्या में सड़कें बना ली हैं और आधारभूत ढांचे को मजबूत किया है।
सरपंच उरगेन ने बताया कि पिछले कई साल से वे लोग दलाई लामा का जन्मदिन मना रही हैं लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि चीन के सैनिक यहां तक आए हैं। उन्होंने बताया कि सेना और सरकार को इस कार्यक्रम की जानकारी है। यह इलाका लद्दाख में भारत और चीन के बीच अंतिम रिहायशी इलाका है। बता दें कि चीनी सेना का यह कदम वुहान शिखर सम्मेलन की भावनाओं के खिलाफ है।