लद्दाख में भारत-चीन सीमाReuters

28 अगस्त 2017 को 73 दिन लम्बे डोकलाम विवाद के समाप्त होने के लगभग एक साल बाद चीन एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है. इस बार चीन ने पूर्वी लद्दाख के डेमचॉक सेक्‍टर में अतिक्रमण किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) डेमचॉक में करीब 300-400 मीटर अंदर तक घुस आई है और इस इलाके में चीनी सेना के पांच टेंट भी देखे गए हैं.

'टाइम्‍स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा प्रतिष्‍ठानों का कहना है कि PLA ने दोनों देशों की सेना के बीच ब्रिगेडियर स्‍तर की वार्ता के बाद चेरदॉन्‍ग-नेरलॉन्‍ग नल्‍लान इलाके से अपने तीन तंबू हटा लिए हैं, लेकिन उनके दो शिवर अब भी इलाके में मौजूद हैं और वहां चीनी सैनिक सादी वर्दी में रह रहे हैं. सेना ने इस बारे में पूछे जाने पर कुछ भी कहने से इनकार किया है.

सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि पीएलए के सैनिक जुलाई के पहले हफ्ते में खानाबदोशों के वेश में मवेशियों के साथ भारतीय सीमा में घुस आए और भारतीय जवानों के बार-बार चेतावनी देने के बाद भी नहीं लौटे. एलएसी पर टकराव को रोकने के लिए भारतीय सैनिको ने बैनर ड्रिल करते हुए उन्हें झंडे दिखाकर अपने क्षेत्र वापस लौट जाने के लिए कहा. हालांकि भारतीय सेना का यह प्रयास विफल रहा क्योंकि सैनिक वापस नहीं गए हैं.

अनसुलझी सीमा अनसुलझी सीमा को लेकर अलग-अलग धारणाओं के कारण इस सेक्टर में अकसर दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध होता रहता है. दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर अपने क्षेत्र में अतिक्रमण करने का आरोप लगाती रहती हैं. लद्दाख में दूसरे विवादित क्षेत्रों में ट्रिग हाईट्स, डमचेले, चुमार, स्पैन्गुर गैप और पैन्गॉन्ग सो शामिल हैं. इस साल चीन सैनिकों द्वारा एलएसी पर 170 से ज्यादा बार घुसपैठ की कोशिश हुई है.

पिछले साल जून में साउथ डोकलाम में जामफेरी रिज की तरफ वाहन जाने योग्य मौजूदा सड़क के विस्तार की कोशिश में लगे चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों रोक दिया था. हालांकि बाद में पीएलए ने नॉर्थ डोकलाम में न सिर्फ मिलिटरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और हेलिपैडों का निर्माण किया, बल्कि अपने 600 से 700 जवानों को स्थायी तौर पर इलाके में तैनात कर दिया.