सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरWikimedia Commons

पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत खुद को युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए हर वक्त तैयार रखना चाहता है। इसी उद्देश्य से भारतीय वायुसेना ने रूस के साथ ऐंटी-टैंक मिसाइल 'स्ट्रम अटाका' डील साइन की है। दरअसल भारत की कोशिश है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जिस तरह का घटनाक्रम भारत और पाकिस्तान के बीच बना था, वैसी स्थिति से किसी भी समय निपटने के लिए तैयार रहा जाए। इन मिसाइलों को एमआई-35 हेलीकॉप्टरों में लगाया जाएगा। इसके बाद ये हेलीकॉप्टर दुश्मनों के टैंकों और अन्य हथियारबंद वाहनों को पलक झपटते नष्ट कर सकेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने बताया, 'ऐंटी-टैंक मिसाइल 'स्ट्रम अटाका' को अधिग्रहित करने की डील इस शर्त के साथ साइन की गई है कि दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने के 3 महीने के भीतर ही इसकी सप्लाई करनी होगी।' अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच यह डील करीब 200 करोड़ रुपये में फाइनल हुई है। इसके बाद भारत के एमआई-35 चॉपर्स शत्रु के टैंक और दूसरे हथियारबंद वाहनों पर हमला कर सकेंगे।

एमआई-35 भारतीय वायुसेना के हमलावर चॉपर हैं। इन चॉपर को अमेरिका के अपाचे गनशिप्स से रिप्लेस किया जाएगा। भारत रशियन मिसाइल को अधिग्रहित करने की योजना लंबे समय से बना रही थी, लेकिन करीब एक दशक के बाद यह डील खास शर्त के साथ साइन की गई।

हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने थल, वायु और नौसेना की ओर से आपातकालीन प्रावधानों के तहत की जाने वाली खरीद को लेकर प्रजेंटेंशन दिया गया था। इस मामले में वायुसेना ने बाजी मारी जबकि थल सेना दूसरे नंबर पर रही।

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वहीं भारतीय आर्मी भी आपातकालीन परिस्थित के तहत फ्रांस से स्पाइक ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और रूस से एलजीएलए-एस एयर डिफेंस मिसाइल डील को फाइनल करने की प्रक्रिया में है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि आपातकालीन परिस्थिति में तीनों सेनों के प्रमुखों को यह ताकत दी गई है कि वे तीन महीने में सप्लाई की शर्त के साथ 300 करोड़ रुपये तक की डील फाइनल कर सकते हैं।

इससे पहले भारत रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद भी फाइनल कर चुका है। एस-400 रूस की सबसे आधुनिक लंबी दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है। रूस से 2014 में यह प्रणाली खरीदने वाला चीन सबसे पहला देश था। भारत और रूस ने पिछले साल अक्टूबर में पांच अरब डॉलर के एस-400 वायु रक्षा प्रणाली सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि इस करार को लेकर अमेरिका ने आपत्ति भी जताई थी लेकिन भारत ने इसे नजरअंदाज किया।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।