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पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सरकारी निर्देशों के अनुसार सोमवार से टोल संग्रह शुरू हुआ। हालांकि इस कदम का ट्रांसपोर्टर विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने 25 मार्च को कोरोना वायरस महामारी के चलते टोल संग्रह को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के साथ ही राजमार्ग डेवलपर्स ने टोल प्लाजा पर संग्रह फिर से शुरू किया।

राजमार्ग बनाने वाली कंपनी आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स ने कहा कि उसके सभी एसपीवी ने एनएचएआई के निर्देशों के अनुरूप आज रात बारह बजे से टोल संग्रह फिर से शुरू कर दिया।

आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के एक प्रवक्ता ने कहा, ''टोल परिचालन फिर से शुरू करने के लिए नोडल एजेंसियों के निर्देशों से हम खुश हैं। यह इस क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है, और इससे लगता है कि हम चरणबद्ध ढ़ग से सामान्य स्थिति की बहाली की ओर बढ़ रहे हैं।''

आईआरबी इंफ्रा की एसपीवी परियोजनाएं पूरे देश में 50 टोल प्लाजा का संचालन करती करती हैं। एनएचएआई के दिशानिर्देशों के अनुसार सभी एसपीवी टोल प्लाजा पर उपयोगकर्ताओं और कर्मचारियों के लिए आवश्यक सावधानी और देखभाल बरती जाएगी। इसके लिए कंपनी ने टोल प्लाजा पर काम करने वाले कर्मचारियों को पर्याप्त मास्क, सैनिटाइजर, दस्ताने आदि उपलब्ध कराए हैं।

हालांकि ट्रांसपोर्टरों के शीर्ष संगठन एआईएमटीसी ने इस फैसले का विरोध किया है और कहा कि 85 प्रतिशत से अधिक ट्रांसपोर्टर नकदी की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे छोटे ट्रांसपोर्टर राजमार्गों पर टोल टैक्स चुकाने में समर्थ नहीं होंगे। एआईएमटीसी ने सरकार से टोल टैक्स की वसूली तीन मई तक रोकने का आग्रह किया है।

यह संगठन देश के करीब 95 लाख ट्रक चालकों और ट्रांसपोर्ट इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है। एआईएमटीसी के अध्यक्ष कुलतरण सिंह अटवाल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

अटवाल ने कहा कि देशभर से मिली जानकारी के हिसाब से रबी फसलों की खरीद प्रभावित होगी क्योंकि 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे ट्रांसपोर्टरों की माली हालत खराब है। वह 20 अप्रैल से फिर शुरू हो रही टोल टैक्स वसूली का भार उठाने में असमर्थ हैं। इसलिए पथ कर की वसूली को कम से कम तीन मई तक टाल देना चाहिए।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.