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IANS

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक, नलिनी श्रीहरन, गुरुवार, 25 जुलाई को वेल्लोर जेल से बाहर आईं। नलिनी को अपनी बेटी मेगारा की शादी की व्यवस्था करने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने 30 दिनों की पैरोल दी थी। बता दें कि 5 जुलाई को मद्रास उच्च न्यायालय ने नलिनी को पैरोल दी थी।

यह पहली बार है जब पिछले 28 वर्षों से आजीवन कारावास की सजा काट रही नलिनी को महीने भर की पैरोल दी गई है। इससे पहले नलिनी को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 12 घंटे की पैरोल दी गई थी।

हालाँकि, मद्रास उच्च न्यायालय ने भी पैरोल की अवधि के लिए नलिनी को कई निर्देश जारी किए हैं। उसे वेल्लोर छोड़ने की अनुमति नहीं है और वह राजनीतिक दल के नेताओं से नहीं मिल सकती या प्रेस से बात नहीं कर सकती है। वह अपनी बेटी हरित्रा श्रीहरन, मां पद्मावती, बहन कल्याणी और भाई भाग्यनाथन सहित अन्य रिश्तेदारों के साथ वेल्लोर में ही रहेंगी।

कोर्ट के इसे आदेश पर कार्रवाई करते हुए नलिनी को वेल्लोर के विशेष कारागार से सुरक्षाकर्मियों के साथ रिहा किया गया है। पुलिस ने नलिनी की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 10 हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को उसके साथ भेजने का फैसला किया है।

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नलिनी ने वेल्लोर जेल में ही अपनी बेटी को जन्म दिया और उसकी परवरिश ब्रिटेन में हुई। नलिनी की बेटी लंदन में रहती है। पैरोल के लिए नलिनी ने व्यक्तिगत रूप से अपने मामले में पैरवी की थी। नलिनी ने अपनी दलील में कहा था कि हर दोषी दो साल की जेल की सजा के बाद एक महीने की साधारण छुट्टी का हकदार होता है और उसने पिछले 27 साल में एक बार भी छुट्टी नहीं ली है।

बता दें कि चेन्नई के पास एक चुनावी रैली में राजीव गांधी से मिलने के दौरान लिट्टे संगठन की आत्मघाती हमलावर महिला ने खुद को उड़ा लिया था। इसके बाद से सभी सातों दोषी 1991 से जेल में कैद हैं। राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सात दोषियों में पेरारीवलन, मुरुगन, नलिनी, शांतन, रविचंद्रन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस शामिल हैं। यह सभी 21 मई 1991 से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के संबंध में जेल में हैं।

वहीं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में तमिलनाडु सरकार ने उम्रकैद की सजा काट रहे 7 दोषियों की रिहाई के लिए मद्रास हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था। डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा था कि संविधान की धारा 161 के तहत सातों को रिहा करने का आग्रह किया जा चुका है।