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Reuters file

भारतीय रेलवे सिर्फ टिकट बुकिंग से ही यात्रियों से कमाई नहीं कर रहा है बल्कि यात्रियों द्वारा टिकट निरस्त करवाना भी देश की जीवनधारा कही जाने वाली रेलवे के लिए मोटी कमाई का जरिया है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला है कि वित्त वर्ष 2018-19 में टिकट रद्द किये जाने के बदले यात्रियों से वसूले गये प्रभार से रेलवे के खजाने में लगभग 1,536.85 करोड़ रुपये जमा हुए।

आरटीआई कार्यकर्ता ने रेलवे से यह जानकारी भी मांगी है कि क्या रेलवे टिकट कैंसल किए जाने के बदले यात्रियों से वसूले जाने वाले शुल्क को कम करने पर विचार कर रहा है? रेलवे ने इस सवाल का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने शुक्रवार को जानकारी दी कि उन्हें रेल मंत्रालय के रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) से अलग-अलग अर्जियों पर यह जानकारी मिली है। आरटीआई आवेदन में पूछे गए सवालों के जवाब के मुताबिक रेलवे ने आरक्षित टिकटों के निरस्तीकरण से 1,518.62 करोड़ रुपये कमाए हैं।

अनारक्षित टिकटिंग प्रणाली (यूटीएस) के तहत बुक यात्री टिकटों को रद्द कराए जाने से रेलवे ने 18.23 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। गौड़ ने अपनी आरटीआई अर्जी में रेलवे से यह भी जानना चाहा था कि क्या टिकट रद्द करने के बदले यात्रियों से वसूले जाने वाले शुल्क को घटाने के किसी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है?

आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा, 'इस सवाल के जवाब का मुझे अब तक इंतजार है। रेल टिकट रद्द करने के बदले यात्रियों से वसूले जाने वाले शुल्क को व्यापक जनहित में जल्द घटाया जाना चाहिये।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।