वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यस बैंक के खाताधारकों को भरोसा दिलाया कि उनका पैसा सुरक्षित है और रिजर्व बैंक यस बैंक से जुड़े मुद्दों का तेजी से समाधान करने के लिए काम कर रहा है।
सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ''मैं रिजर्व बैंक के साथ लगातार संपर्क में हूं। केंद्रीय बैंक की इस मामले पर पूरी पकड़ है और उसने इसके जल्द समाधान के लिए आश्वस्त किया है। मैं भरोसा दिलाना चाहती हूं कि यस बैंक के हर जमाकर्ता का धन सुरक्षित है।''
उन्होंने कहा कि यह कदम जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में उठाए गए हैं। सीतारमण ने कहा, ''हमारी इस मामले पर पूरी पकड़ है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मुझे भरोसा दिलाया है कि यस बैंक के किसी भी ग्राहक को कोई नुकसान नहीं होगा।''
रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को सरकार से मशविरा करने के बाद यस बैंक पर रोक लगायी और उसके निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। वहीं बैंक के ग्राहकों पर भी 50,000 रुपये मासिक तक निकासी करने की रोक लगायी है। यस बैंक किसी भी तरह का नया ऋण वितरण या निवेश भी नहीं कर सकेगा।
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि बैंक के ग्राहक 50,000 रुपये की सीमा में पैसे निकाल सकें, यह सुनिश्चित करना सबसे पहली प्राथमिकता है।
अगले एक महीने के लिए रिजर्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी प्रशांत कुमार को येस बैंक का प्रशासक नियूक्त किया है। वहीं देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के निदेशक मंडल ने नकदी संकट से जूझ रहे येस बैंक में निवेश के लिए 'सैद्धांतिक' स्वीकृति दे दी है।
दूसरी तरफ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि यस बैंक की समस्या सिर्फ उससे जुड़ी है, यह पूरे बैंकिंग क्षेत्र की समस्या नहीं है। कुमार यह बात रिजर्व बैंक के बृहस्पतिवार को यस बैंक पर रोक लगाने के अगले दिन कही।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक के बाद कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ''रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह यस बैंक के लिए एक पुनर्गठन योजना लेकर आएंगे।''
उन्होंने कहा कि यस बैंक के मुद्दे का समाधान 'बहुत जल्द' हो जाएगा। कुमार ने कहा, ''यह बैंकिंग क्षेत्र की दिक्कत नहीं है। यह सिर्फ बैंक से जुड़ी (यस बैंक) दिक्कत है।''
यस बैंक में एसबीआई के हिस्सेदारी खरीदने पर उन्होंने कहा कि बैंक को ऐसा करने की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.