बीते करीब एक सप्ताह से जम्मू-कश्मीर को लेकर चल रही तमाम अटकलों, अफवाहों और कयासों पर अब विराम लग गया है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक और अभूतपूर्व फैसला लेते हुए राज्यसभा में दो अहम संकल्प पेश किए। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किये गए इस संकल्प में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने का संकल्प शामिल है। जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा और इस प्रदेश की अपनी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश होगा। लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।
अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, "महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाने वाली निम्नलिखित अधिसूचनाओं की सिफारिश करता है। संविधान के अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि यह दिनांक जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे सरकारी गैजेट में प्रकाशित किया जाएगा उस दिन से अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे, सिवाय खंड 1 के"
शाह ने कहा कि 1950 और 1960 के दशकों में तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने इसी तरीके से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था। हमने भी यही तरीका अपनाया है। शाह ने बताया कि राष्ट्रपति धारा 370 को खत्म करने वाले राजपत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
अमित शाह की ओर से संसद में ये दो संकल्प पेश करते ही विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे। पीडीपी सांसद इस घोषणा के बाद ही कपड़े फाड़कर बैठ गए और हंगामा करने लगे। हंगामे के दौरान ही पीडीपी के इन दो सदस्यों को सभापति एम वेंकैया नायडू के आदेश पर मार्शलों ने सदन से बाहर किया। यही नहीं कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके के सांसदों ने भी सरकार की इस घोषणा पर खूब हंगामा किया। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि बीजेपी ने संविधान की हत्या की है।
शाह ने राज्यसभा में जम्मू एवं कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 पेश किया। गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख के लिए केंद्र शासित प्रदेश के गठन की घोषणा की, जहां चंडीगढ़ की तरह विधानसभा नहीं होगी। शाह ने राज्यसभा में घोषणा की कि कश्मीर और जम्मू डिविजन विधानसभा के साथ एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां दिल्ली और पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी।
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल पेश किए जाने की जानकारी दी और गृह मंत्री अमित शाह को बिल पेश किए जाने को कहा। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कश्मीरी नेताओं के हाउस अरेस्ट पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार के लाए सारे बिल हम पास करेंगे, लेकिन पहले कश्मीर को लेकर बयान दे दें। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम विपक्ष के एक-एक सवाल का तब तक जवाब देंगे जब तक कि विपक्ष संतुष्ट नहीं हो जाए।
इसके बाद शाह ने भारत के संविधान की अनुच्छेद 370 के खंड 1 के सिवा इस अनुच्छेद का कोई खंड लागू नहीं रखने की सिफारिश की। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 सदन में पेश किया गया। शाह ने कहा, 'महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाने वाली निम्नलिखित अधिसूचनाओं की सिफारिश करता है। संविधान के अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि यह दिनांक जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे सरकारी गैजेट में प्रकाशित किया जाएगा उस दिन से अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे, सिवाय खंड 1 के'
शाह ने विपक्ष के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि वह सदन को विश्वास दिलाते हैं कि धारा 370 का खत्म होना कश्मीर के लोगों के हित में है। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद साहब कहते हैं कि यह गैरसंवैधानिक तरीका है। मैं इस पर वाद-विवाद करने के लिए तैयार हूं।
बता दें कि सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक घंटे लंबी बैठक चली। समझा जाता है कि इस बैठक में शीर्ष नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की और धारा 370 को खत्म करने का फैसला किया।