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सांकेतिक तस्वीरReuters

सरकारी बैंकों का करीब 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर देश छोड़कर फरार होने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) के तहत उनकी संपत्तियों की कुर्की बेहद कठोर कदम है और इससे कर्जदाताओं को कोई मदद नहीं मिलेगी।

प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) स्पेशल कोर्ट ने माल्या को एफईओ ऐक्ट के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था, जिसे चुनौती देने के लिए उन्होंने पिछले महीने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। अधिनियम के प्रावधानों के तहत जब किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है, तो उसकी संपत्तियों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जब्त किया जा सकता है।

माल्या के वकील अमित देसाई ने सोमवार को आई. ए. महंती तथा ए. एम. बदार की खंडपीठ से कहा कि ईडी द्वारा संपत्तियों की जब्ती से कर्जदाताओं को कोई फायदा नहीं होने वाला है।

देसाई ने कहा, 'संपत्तियों की कुर्की सख्त कदम है। यह वक्त बैंकों और कर्जदाताओं के साथ समझौता करने का है। माल्या नहीं चाहते हैं कि उनकी संपत्ति उन्हें वापस मिले। हम केवल यह कह रहे हैं कि सरकार द्वारा संपत्तियों की कुर्की से बैंकों और कर्जदाताओं की समस्या नहीं सुलझने जा रही।'

ईडी ने हालांकि याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि इस अधिनियम का उद्देश्य गिरफ्तारी के डर से भारत से भागने वाले व्यक्ति की वापसी सुनिश्चित करना है।

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा, 'ये कार्रवाइयां फर्जीवाड़ा कर देश से भागने वाले लोगों की वापसी सुनिश्चित करती हैं। जैसे ही माल्या भारत वापस आ जाते हैं, इस अधिनियम के प्रावधान तथा इसके तहत शुरू की गई प्रक्रियाएं अमान्य हो जाएंगी।'