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यस बैंक लिमिटेड के संस्थापक और पूर्व प्रबंध निदेशक, राणा कपूरWikimedia Commons

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यस बैंक लिमिटेड के संस्थापक और पूर्व प्रबंध निदेशक, राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया, और डीएचएफएल (दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) को दिए गए ऋण के संबंध में मुंबई के वर्ली में उनके समद्र महल निवास पर छापा मारा।

आरबीआई की यह कार्रवाई हाल ही में निजी क्षेत्र के ऋणदाता के खिलाफ बैंक की खराब वित्तीय स्थिति के मद्देनजर पूंजी जुटाने और संभावित ऋण घाटे को पूरा करने में विफलता के के चलते कुछ प्रतिबन्ध लगाने के बाद की गई है। आरबीआई ने 30 दिनों के लिए बैंक के बोर्ड को भी निलंबित कर दिया और एक महीने की अवधि के लिए इसके ग्राहकों के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय कर दी।

सरकार ने आरबीआई को बैंक की बिगड़ती वित्तीय स्थिति के लिए जिम्मेदार किसी भी कथित वित्तीय अनियमितता के बारे में सूचित करने और एक विस्तृत मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था। मामले की अधिक ठोस साक्ष्य एकत्र करने के इरादे से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच की जा रही है।

ईडी द्वारा दर्ज पीएमएलए मामला डीएचएफएल के खिलाफ कपूर की ऋण मंजूरी पर जारी जांच के आधार पर है, जिसमें उसने 2015 में एक लाख काल्पनिक ग्राहकों का उपयोग करते हुए 80 काल्पनिक संस्थाओं को लगभग 12,733 करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन किया गया।

ईडी के अधिकारी ने कहा, "कुछ मामलों में, यह पाया गया कि डीएचएफएल को दी गई धनराशि यस बैंक से उत्पन्न हुई थी।" इन ऋणों की प्रकृति का पता लगाने और डीएचएफएल को देते समय की गई अनियमितता के बारे में पता लगाने को छापेमारी की गई।

राणा कपूर पर आरोप है कि निजी रिश्तों को ध्यान में रखकर उन्होंने यस बैंक से लोन बांटे। यस बैंक ने अनिल अंबानी ग्रुप, आईएलएंडएफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, एस्सेल ग्रुप, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे ग्रूप्स को लोन बांटे हैं। इनके डिफॉल्टर होने से यस बैंक (Yes Bank) की यह हालत हुई है।

आरोप है कि इन बड़े कारोबारी घरानों को लोन दिलाने में राणा कपूर की सहमति रही। साल 2018 में राणा कपूर पर कर्ज और बैलेंसशीट में गड़बड़ी के आरोप लगे थे, जिसके बाद आरबीआई ने उन्हें चेयरमैन के पद से जबरन हटा दिया था।

वहीं वित्त मंत्री ने साफ तौर से कहा है कि इस बात का पता लगाया जाएगा कि यस बैंक का संकट में पहुंचाने में व्यक्तिगत रूप से कौन जिम्मेदार है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यस बैंक के बोर्ड को भंग करने और जमा खाताधारकों की निकासी सीमा तय करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक की 2017 से निगरानी की जा रही थी और इससे संबंधित गतिविधियों की हर दिन निगरानी की गई।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2017 से बैंक में प्रशासन संबंधी मसले, कमजोर अनुपालन, गलत परिसंपत्ति वर्गीकरण जैसी स्थिति को पाया। उन्होंने कहा कि कर्ज के जोखिम भरे फैसलों का पता चलने के बाद रिजर्व बैंक ने यस बैंक प्रबंधन में बदलाव का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ये फैसले बैंक के हित में किए गए और सितंबर 2018 में एक नए सीईओ की नियुक्ति हुई। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को भी यस बैंक में अनियमितताओं का पता चला।

सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक तात्कालिकता की भावना के साथ यथोचित कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन योजना 30 दिनों में पूरी तरह प्रभावी हो जाएगी और एसबीआई ने येस बैंक में निवेश करने की इच्छा जताई है।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यस बैंक के कर्मचारियों की नौकरी, वेतन एक साल तक सुरक्षित रहने का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें यस बैंक ने कर्ज दिया था।