अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए निकाला जाए। इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह की अगुवाई में तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी गठित की गई है। इसमें श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह पूरी मध्यस्थता की प्रक्रिया अयोध्या में होगी। इसकी कोई मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी। मध्यस्थता की प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू हो जाना है। मध्यस्थता शुरू होने के चार हफ्ते बाद एक प्रगति रिपोर्ट मांगी है। आठ हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। इसके बाद कमेटी को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपनी होगी।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says mediation proceedings should be held on-camera. Mediation process will be held in Faizabad. It will be headed by Justice FM Kaliifullah and also comprise Sri Sri Ravi Shankar and senior advocate Sriram Panchu. pic.twitter.com/6gx9FSogG2
— ANI (@ANI) March 8, 2019
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला इस पैनल के चेयरमैन होंगे। समिति के अन्य मध्यस्थों में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल हैं। खास बात यह है कि मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाने की प्रक्रिया 4 हफ्ते में शुरू हो जाएगी और 8 हफ्ते में पूरी हो जाएगी। हालांकि माना जा रहा है कि इस संबंध में कार्यवाही एक हफ्ते में ही शुरू हो सकती है।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says
— ANI (@ANI) March 8, 2019
mediation process has to start within four weeks and to be completed within eight weeks. pic.twitter.com/zWY82T09Xx
इसके साथ ही कोर्ट ने फैजाबाद में ही मध्यस्थता को लेकर बातचीत करने के निर्देश दिए हैं। जब तक बातचीत का सिलसिला चलेगा, पूरी बातचीत गोपनीय रखी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पैनल में शामिल लोग या संबंधित पक्ष कोई जानकारी नहीं देंगे। इसको लेकर मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court in its order also said that the reporting of the mediation proceedings in media will be banned. https://t.co/QpjYDyemmS
— ANI (@ANI) March 8, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कहा है, 'कोर्ट की निगरानी में होने वाली मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की कार्यवाही कैमरे के सामने होनी चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर जरूरी हुआ तो मध्यस्थ पैनल में किसी और को भी शामिल कर सकते हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से फैजाबाद में मध्यस्थों को सभी सुविधाएं प्रदान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अगर जरूरी हुआ तो मध्यस्थ आगे कानूनी सहायता भी ले सकते हैं।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says, mediators can co-opt more on the panel if necessary. Uttar Pradesh government to provide mediators all the facilities in Faizabad. Mediators can seek further legal assistance as and when required.
— ANI (@ANI) March 8, 2019
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभन्न पक्षों को सुना था। पीठ ने कहा था कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिए सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में बहुत जल्द आदेश दिया जाएगा।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह केवल जमीन का नहीं बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है। संविधान पीठ में CJI के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को प्रमुखता से कहा था कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है।
इस प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था।
शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था।
इससे पहले कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि उसकी मंशा अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के बारे में शीघ्र ही आदेश देने की है। न्यायालय ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिये संभावित मध्यस्थों के नाम उपलब्ध करायें।