आईएलएंडएफएस घोटाले के दोषियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने समूह की फ़ाइनैंशल सर्विसेज सब्सिडियरी आईएफआईएन के शीर्ष प्रबंधन को घेरे में लिया है। एसएफआईओ का कहना है कि आईएफआईएन के शीर्ष प्रबंधन के सदस्यों ने उसके ऑडिटरों और स्वतंत्र निदेशकों की 'मंडली' के साथ मिलकर कंपनी को अपनी जागीर की तरह से चलाया और उसके साथ धोखाधड़ी की।
अधिकारियों ने कहा कि आईएलएफएस फ़ाइनैंशल सर्विसेज लि. (आईएफआईएन) का मामला तो समूह के पूरे महाघोटाले के आगे 'ऊंट के मुंह में जीरे' जैसा है। समूह में कुल 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की चूक हुई। एसएफआईओ के पहले आरोप पत्र में सिर्फ एक इकाई आईएफआईएन का जिक्र है। समूह की मूल कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फ़ाइनैंशल सर्विसेज लि.(आईएलएंडएफएस) और दूसरे सब्सिडियरीज की जांच चल रही है।
अधिकारियों ने बताया कि आईएफआईएन के पूर्व कार्यकारियों तथा स्वतंत्र निदेशकों के खिलाफ अभियोजन तथा उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के अलावा एसएफआईओ ऑडिटरों की सभी चल और अचल संपत्तियों को कुर्क करने की तैयारी कर रहा है। इनमें लॉकर, बैंक खाते तथा संयुक्त रूप से रखी गई संपत्तियां शामिल हैं। एसएफआईओ आईएफआईएन द्वारा बैंकों से लिए गए सभी कर्जों का ब्यौरा जुटा रहा है और बैंकों तथा उनके अधिकारियों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की भूमिका की जांच कर रहा है।
एसएफआईओ ने पहला आरोप-पत्र 400 से अधिक इकाइयों के खातों की जांच के बाद दायर किया है। इसके तहत गहन फॉरेंसिक ऑडिट किया गया है, आईएलएंडएफएस के कार्यालयों के लैपटॉप और डेस्कटॉप से निकाले गए आंकड़ों को शामिल किया गया है। साथ ही एसएफआईओ ने आईएलएंडएफएस के सर्वरों से निकाले गए ई-मेल, रिजर्व बैंक की जांच रिपोर्ट, बैठक के ब्यौरे और अन्य दस्तावेजों का अध्ययन किया है और सरकार द्वारा नियुक्त आईएलएंडएफएस के नए बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर किया है। यह विशाल घोटाला पिछले साल प्रकाश में आया था।
आईएलएंडएफएस और उसकी सब्सिडियरीज ने नकदी संकट की वजह से कई भुगतान में चूक या डिफॉल्ट किया था। मार्च, 2018 तक आईएलएंडएफएस और उसकी सब्सिडियरीज पर बैंकों और अन्य ऋणदाताओं का 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया था। पिछले शुक्रवार को मुंबई की विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोप पत्र में एसएफआईओ ने 30 इकाइयों-व्यक्तिगत लोगों के खिलाफ आरोप लगाए हैं। आईएफआईएन के पूर्व शीर्ष प्रबंधन पर कंपनी, उसके शेयरधारकों तथा ऋणदाताओं के हितों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है। इससे कंपनी को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया गया।
इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने मंडली के रूप में काम किया और अन्य लोगों के साथ साठगांठ कर रिजर्व बैंक के निर्देशों का उल्लंघन किया। एसएफआईओ के आरोप पत्र में डेलॉयट हास्किंस ऐंड सेल्स एलएलपी तथा बीएसआर एंड असोसिएट्स का नाम शामिल है। जांच एजेंसी ने कहा कि कंपनी ने जो वित्तीय ब्यौरा या बयान जमा किया है कि वह उसमें सही स्थिति के बारे में नहीं बताया। जबकि 2010-11 से 2017-18 के दौरान दिए गए वित्तीय ब्यौरे में मान्य लेखा मानकों का अनुपालन नहीं किया गया। एक निदेशक में कर्ज लेने वाली कंपनी में अपने हित का जिक्र नहीं किया जबकि उस कंपनी में उसकी पत्नी और पुत्री बोर्ड में थीं।
एसएफआईओ ने जिस मंडली की पहचान की है उसमें रवि पार्थसारथी, हरि शंकरन, अरुण साहा, रमेश बावा, विभव कपूर और के रामचंद के नाम शामिल हैं। ये सभी लोग आईएलएंडएफएस की विभिन्न कंपनियों में शीर्ष प्रबंधन स्तर के पदों पर थे। एसएफआईओ ने कहा कि उसकी जांच में यह सामने आया कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में आईएफआईएन ने शिवा, एबीजी, ए2जेड, पार्श्वनाथ तथा कई अन्य कंपनियों को कर्ज दिया जबकि इनमें से कई कर्ज की वापसी समय पर नहीं कर रही थीं।