कश्मीर में आतंकवादियों के सफाये का अभियान जोरों पर है और आतंकवाद के सफाये के इसी क्रम में इस वर्ष के पहले पांच महीनों में ही भारतीय सुरक्षाबल 100 आतंकवादियों को ढेर कर चुके है। सुरक्षा बलों का निशाना बने इन 100 आंतकवादियों में 23 विदेशी आतंकवादी भी शामिल हैं। हालांकि, अच्छी-खासी संख्या में नए आतंकवादियों की भर्ती सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब बना है।
अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष 31 मई तक 101 आतंकी मारे गए जिनमें 23 विदेशी और 78 स्थानीय आतंकी शामिल हैं। मारे गए आतंकवादियों में सबसे ज्यादा संख्या शोपियां से है जहां 16 स्थानीय आतंकियों समेत 25 आतंकवादी मारे गए। पुलवामा में 15, अवंतीपुरा में 14 और कुलगाम में 12 आतंकी मारे गए।
इस वर्ष जिन आतंकियों का घाटी से खात्मा हुआ है, उनमें अलकायदा से जुड़े आतंकी गुट अंसार गजवात-उल-हिंद का प्रमुख जाकिर मूसा जैसे टॉप कमांडर शामिल हैं। हालांकि दक्षिण कश्मीर के इन अति संवेदनशील क्षेत्रों से युवाओं के विभिन्न आतंकी समूहों में शामिल होने का सिलसिला भी जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि मार्च महीने से 50 युवक अनेक आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। उनके मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियों को उन नए आतंकियों तक जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति रोकने का बेहतर तरीका खोजना होगा। अधिकारियों के मुताबिक, हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों के अंसार गजवात-उल-हिंद में शामिल होने के मामले बढ़े हैं।
23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए थे। उसी दौरान जाकिर मूसा मारा गया। अधिकारियों का कहना है कि जाकिर के मारे जाने के बाद से हिज्बुल के आंतकी खासतौर से अंसार गजवात-उल-हिंद में जाने लगे हैं। आतंकवाद से मुकाबला करने या इसके लिए रणनीति बनाने में शामिल अधिकारियों का मानना है कि आतंकवाद निरोधक नीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। इसके अलावा युवाओं को आतंकवाद की बुराइयां समझाने के लिए उनके तथा उनके माता-पिता के साथ बात करने की जरूरत है।
अधिकारियों ने कहा कि घुसपैठ भी बढ़ रही है और कुछ आतंकी जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी जिलों तथा कश्मीर घाटी में एलओसी (नियंत्रण रेखा) से आतंकी घुसपैठ में सफल रहे। इससे सुरक्षा बलों के लिए बहुत चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है जो खुद को इस महीने के आखिर में शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए तैयार कर रहे हैं। घाटी में 2010-2013 की तुलना में 2014 से युवाओं के हथियार उठाने के मामले बढ़े हैं।
अधिकारियों को लगता है कि पुलवामा में 14 फरवरी के आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद दक्षिण कश्मीर में स्थानीय लोगों के प्रदर्शन तथा पथराव देखे गए।
आतंकियों को सुपुर्दे खाक करते समय भी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। पूरे घटनाक्रम से ऐसा माहौल बन सकता है जो नए आतंकियों की भर्ती के लिए मुफीद बन जाए।