स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को पिछले 24 घंटों के दौरान देश में कोरोना संक्रमण के 106 नये मामले सामने आने की पुष्टि करते हुये बताया कि इसके मरीजों कुल संख्या 979 हो गयी है, जबकि अब तक इस वायरस के कारण 25 लोगों की मौत हो चुकी है।
स्वस्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान छह राज्यों में कोरोना से संक्रमित छह मरीजों की मौत हुयी है। इस दौरान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डॉ. रमन आर. गंगाखेडकर ने बताया कि देश में रविवार तक कुल 34,931 लोगों का कोरोना वायरस से संक्रमण का परीक्षण किया गया।
उन्होंने बताया कि आईसीएमआर की प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाकर 113 कर दी गयी है। इनके अलावा निजी क्षेत्र की 47 प्रयोगशालाओं से भी कोरोना के संक्रमण का परीक्षण कराया जा सकता है।
संवाददाता सम्मेलन में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि कामगारों के पारिश्रमिक का भुगतान समय पर हो, इसके लिये सरकार की ओर से नियोक्ताओं को निर्देश दिये गये हैं कि लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने के बावजूद कामगारों को समय पर पूरा वेतन दिया जाये। इसके अलावा मकान मालिकों से भी किरायेदारों से इस अवधि का किराया नहीं लेने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि श्रमिकों से मकान मालिक घर खाली करने को न कहें। उन्होंने भारी तादाद में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की घटनाओं के हवाले से कहा कि वेतन भुगतान और कामगारों से घर खाली नहीं कराने के निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी सभी जिलों के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को सौंपी गयी है। इसके लिये ये अधिकारी निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।
श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकारों को भी राज्य की सीमायें सील करने के निर्देश दिये गये हैं। इस दौरान 21 दिन के लॉकडाउन के समय लोगों में मानसिक स्वास्थ्य और बर्ताव संबंधी मसलों के समाधान के लिये मानसिक स्वास्थ्य संबंधी संस्थान 'निमहेंस' ने हेल्पलाइन भी शुरु की है। हेल्पलाइन की सेवायें लेने के लिये टोलफ्री नंबर 08046110007 पर कॉल करके समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये 21 दिन तक देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.