Hydroxychloroquine (HCQ)
सांकेतिक तस्वीरiStock images

भारत ने मलेरिया के उपचार की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाने का फैसला किया है जिससे कोरोना वायरस महामारी से काफी प्रभावित अमेरिका एवं कई अन्य देशों को इस दवा की आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

सरकार के अधिकारियों ने बताया कि भारत अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद हर मामलों पर विचार करने के बाद उन देशों को पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात करेगा जिन्होंने पहले ही आर्डर दिया था।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर प्रतिंबध को आंशिक रूप से हटाने का निर्णय तब आया है जब सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आगाह किया है कि उनके व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद अगर भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं करता है तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इस दवा को कारोना वायरस संक्रमण के उपचार के तौर पर बता रहे हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ''वैश्विक महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर, यह तय किया गया है कि भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पैरासिटामोल और एचसीक्यू (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन) को उचित मात्रा में उपलब्ध कराएगा, जिनकी निर्भरता भारत पर है।''

इस बारे में संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ''हम इन आवश्यक दवाओं की आापूर्ति उन देशों को भी करेंगे जो इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।''

गौरतलब है कि भारत ने 25 मार्च को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात रोक लगा दी थी। ऐसी खबरें सामने आई थीं कि कोविड-19 के मरीजों के उपचार में इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत इस दवा का बड़ा निर्यातक देश है। 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' मलेरिया के इलाज में प्रयुक्त होने वाली पुरानी और सस्ती दवा है।

कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टेलीफोन पर बातचीत के दौरान हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के आर्डर की आपूर्ति करने का आग्रह किया था ताकि अमेरिका में कोविड-19 प्रभावित लोगों का उपचार किया जा सके। समझा जाता है कि मोदी और ट्रंप की टेलीफोन पर बातचीत के बाद भारत और अमेरिका के उच्च अधिकारी एचसीक्यू की अमेरिका को आपूर्ति को लेकर सम्पर्क में थे और इसी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप निर्यात प्रतिबंधों में ढील देने का निर्णय हुआ।

ट्रंप के जवाबी कार्रवाई करने की टिप्पणी के बारे में समझा जाता है कि सरकार का मानना है कि यह प्रतिक्रिया पहले से तय नहीं थी बल्कि यह तात्कालिक प्रतिक्रिया थी। ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं कि इन दो दवाओं पर प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाने का निर्णय पिछली रात उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया।

वहीं, अधिकारियों का कहना है कि भारत इस दवा का निर्यात अपनी घरेलू जरूरत को पूरा करने के बाद हर मामले पर विचार करते हुए करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुटता एवं सहयोग दिखाना चाहिए। इसी सोच के आधार पर हमने अन्य देशों के नागरिकों को उनके देश पहुंचाया है।" हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।

समझा जाता है कि भारत को पड़ोसी देश श्रीलंका, नेपाल सहित 20 देशों से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति करने का आग्रह प्राप्त हुआ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ''किसी भी जिम्मेदार सरकार की तरह से हमारी पहली जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि दवाओं का स्टॉक हमारे अपने लोगों की जरूरत के लिये पर्याप्त मात्रा में हो।''

उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए कई फार्मा उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने का अस्थायी कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग स्थितियों में विभिन्न दवाओं की संभावित जरूरतों की विस्तृत समीक्षा की गई।

श्रीवास्तव ने कहा, ''सभी संभावित परिस्थितियों में दवाओं की उपलब्धता की पुष्टि होने के बाद इन प्रतिबंधों को काफी हद तक हटा लिया गया है।" उन्होंने कहा कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को 14 दवाओं पर रोक को हटाने की अधिसूचना जारी की।

प्रवक्ता ने कहा, ''हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल को लाइसेंसी दवा की श्रेणी में रखा गया है और उनकी मांग की स्थिति की लगातार समीक्षा की जा रही है।''

उन्होंने कहा, ''हालांकि, स्टॉक की स्थिति हमारी कंपनियों को उन निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अनुमति देते हैं जो अनुबंध उन्होंने किये थे।''

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के संदिग्ध या पुष्ट मामलों का ध्यान रखने वालों के लिये सुझाया है।

वहीं, ट्रंप प्रशासन ने पहले ही मलेरिया के उपचार में उपयोग में आने वाली इस दवा की 2.9 करोड़ खुराक का राष्ट्रीय रणनीति भंडार सृजित किया है। उसका मानना है कि न्यूयार्क में कोविड-19 मरीजों के उपचार में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

वैश्विक वैज्ञानिक इस वायरस के लिये टीका या उपचार तलाशने में लगे हुए हैं और उन्होंने कोविड-19 के संभावित उपचार के विकल्प के तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन की जांच कर रहे हैं।

अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पिछले सप्ताह कुछ परिस्थितियों में दवा के उपयोग को अधिकृत किया था। वहीं न्यूयार्क के अलावा कई राज्य कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिये हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग कर रहे हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.