एक तरफ जब दोनों ही देश जम्मू-कश्मीर में युद्धविराम के उल्लंघन में लगे हुए हैं, सोमवार को पाकिस्तानी सेना ने कहा कि भारत के साथ युद्ध की कोई उम्मीद नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि शांति की उनकी पेशकश को उनकी कमजोरी मानने की गलती न की जाए.
इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशन (आईसीएसआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ''हमारी रक्षा, शांति की हमारी इच्छा को हमारी कमजोरी न माना जाए.''
इंडियन एक्स्प्रेस की खबर के मुताबिक, गफूर के अनुसार, जब दोनों देश द्विपक्षीय मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ संवाद कर रहे थे तब भारत ने बातचीत से मुंह फेरा.''
पाक सेना की मीडिया विंग आईएसपीआर ने भारतीय सेना पर वर्ष 2018 में 4 जून तक 1077 बार युद्धविराम उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया.
गफूर ने कहा, ''भारतीयों को यह जानना और समझना होगा कि वे क्या चाहते हैं (भविष्य में). दोनों ही देश परमाणु शक्तियां हैं और ऐसे में युद्ध के लिये कोई स्थान ही नहीं है.''
समावार एजेंसी के अनुसार, इसके अलावा आईएसपीआर ने इस बात पर भी जोर दिया कि युद्धविराम उल्लंघन के लिये पाकिस्तान को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिये. गफूर के अनुसार, उनके देश ने बीते सप्ताह दोनों देशों की सेनाओं द्वारा 2003 के युद्धविराम समझौते का पालन करने के फैसले के बाद से भारतीय सेना द्वारा की जा रही गोलीबारी का जवाब नहीं दिया है, लेकिन अगर उसके नागरिकों को निशाना बनाया जाता है तो पाकिस्तानी सेना भी जवाब देने को ''मजबूर'' होगी.
अपनी बात को साबित करने के लिये स्थानीय प्रशासन ने कहा कि रविवार, 3 जून को भारतीय सेना द्वारा किये गए युद्धविराम उल्लंघन में 24 लोग घायल हुए हैं. घायलों में 4 बच्चे और आठ महिलाएं शामिल हैं.
गफूर ने आगे कहा, ''अगर भारत की तरफ से चली पहली गोली से कोई नुकसान नहीं होता है तो हम जवाब नहीं देंगे. लेकिन अगर भारत दूसरी गोली भी चलाता है तो उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा.''