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चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप ने भविष्य के सभी चुनावों में ''स्वैच्छिक आचार संहिता'' के पालन पर सहमति जताई है।

आयोग ने कहा कि वे आगामी महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी इसका पालन करेंगे। पेड विज्ञापनों के खिलाफ ये संहिता बनाई गई थी और पिछले लोकसभा चुनावों में 20 मार्च को ये प्रभावी हुए। पेड विज्ञापन चुनाव आयोग की तरफ से निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हैं।

चुनाव आयोग ने बयान जारी कर कहा, ''इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) अपने सदस्यों की तरफ से भविष्य के सभी चुनावों में स्वैच्छिक आचार संहिता का पालन करने पर सहमत हुआ है। हरियाणा और महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों और उपचुनावों के दौरान भी वे संहिता का पालन करेंगे।''

पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने चुनाव आयोग की तरफ से रिपोर्ट किए गए 909 उल्लंघनकारी मामलों में कार्रवाई की थी।

संहिता के मुताबिक चुनाव समाप्त होने के 48 घंटे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई राजनीतिक प्रचार नहीं होगा। इस अवधि को ''साइलेंस पीरियड'' (चुनाव प्रचार पर रोक) कहते हैं ताकि मतदाता सोच विचार कर निर्णय कर सकें कि किसे वोट देना है।

संहिता में पेड राजनीतिक विज्ञापन में पारदर्शिता लाने का भी प्रावधान है। पहली बार इंटरनेट आधारित कंपनियों ने स्वेच्छा से ऑनलाइन चुनाव प्रचार के लिए नियमों का पालन करने पर सहमति जताई है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।