ब्रिटेन के आम चुनाव में पीएम बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी ने शानदार जीत हासिल करते हुए बहुमत के जादुई आंकड़े 326 को पार कर लिया है। वहीं, यह चुनाव मुख्य प्रतिद्वंद्वी कंजरवेटिव और लेबर पार्टियों के भारतीय मूल के उम्मीदवारों के लिए भी शानदार रही जिन्हें सफलता मिली है। इस बार रिकॉर्ड 15 भारतवंशी सांसद चुनकर आए हैं। कुछ नए चेहरों के पदार्पण के साथ ही 12 सांसदों ने अपनी-अपनी सीटें बरकरार रखीं।
पूर्व की संसद के भारतीय मूल के सभी सांसदों ने अपनी सीटों पर सफलतापूर्वक कब्जा बरकरार रखा। वहीं कंजर्वेटिव पार्टी के लिए गगन मोहिंद्रा और क्लेयर कोटिन्हो तथा लेबर पार्टी के नवेंद्रु मिश्रा पहली बार सांसद बने। गोवा मूल की कोटिन्हो ने 35,624 मतों के साथ सुर्रे ईस्ट सीट पर जीत दर्ज की। महिंद्रा ने हर्टफोर्डशायर साउथ वेस्ट सीट पर जीत दर्ज की।
आसान जीत के साथ हाउस ऑफ कॉमन्स में लौटने वाले भारतीय मूल के सांसदों में ब्रिटेन की पूर्व गृह मंत्री प्रीति पटेल शामिल रहीं। उन्हें जॉनसन की नई कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है। पटेल ने एस्सेक्स में विदहाम सीट से जीत हासिल की। जीत के बाद उन्होंने कहा, 'हम प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और ब्रेग्जिट हमारी प्राथमिकता है। समझौता तैयार है और हम आगे बढ़ना चाहते हैं।'
वहीं, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनाक और पूर्व अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री आलोक शर्मा ने भी जीत हासिल की। शैलेश वारा नॉर्थ वेस्ट कैम्ब्रिजशायर से जीते और गोवा मूल की सुएला ब्रेवरमैन ने फेयरहाम से जीत दर्ज की। ब्रेग्जिट समर्थक सांसद ब्रेवरमैन ने अपने निर्वाचन क्षेत्र की टीम का आभार व्यक्त किया।
विपक्षी लेबर पार्टी के लिए ये नतीजे बेहद निराशाजनक रहे लेकिन पिछली संसद के उसके भारतीय मूल के सभी सांसद जीत गए। लेबर पार्टी के नवेंद्रु मिश्रा ने स्कॉटपोर्ट सीट जीत ली और वह पहली बार संसद जाएंगे। पिछले चुनाव में पहली ब्रिटिश सिख महिला सांसद बनकर इतिहास रचने वाली प्रीत कौर गिल ने बर्मिंघम एडबास्टन सीट पर फिर स जीत हासिल की।
पगड़ी पहनने वाले पहले सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी हाउस ऑफ कॉमन्स में लौटेंगे। वरिष्ठ सांसद विरेंद्र शर्मा ने 25,678 वोटों से इलिंग साउथहॉल सीट से जीत दर्ज की। अपनी सीट बरकरार रखने वाले अन्य भारतीय मूल के सांसदों में लीजा नंदी और सीमा मल्होत्रा शामिल हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.