अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चनInstagram

बॉलीवुड के महानायक कहे जाने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन को भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के अवॉर्ड' दिया जाएगा. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार शाम ट्वीट करके इस बारे में जानकारी दी.

प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा, "लीजेंड अमिताभ बच्चन जिन्होंने हमें दो पीढ़ियों तक एंटरटेन किया है. उन्हें एकमत ढंग से दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है. पूरा देश और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बारे में खुश है. उनको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं."

वर्क फ्रंट की बात करें तो फिलहाल 'बिग बी' सोनी टीवी के शो 'कौन बनेगा करोड़पति' को होस्ट कर रहे हैं. केबीसी के ज़रिये अमिताभ बच्चन ने सिर्फ़ प्रतियोगियों के ख़्वाब पूरे कर रहे हैं बल्कि बहुत ही दिलचस्प बातें भी कर रहे हैं. इस तरह शो के ज़रिये फ़ैन्स का दिल जीत रहे हैं.

76 वर्षीय अमिताभ बच्चन ने 1969 में फिल्म सात हिंदुस्तानी से अपने करियर की शुरुआत की थी। अमिताभ बॉलीवुड को अब तक दर्जनों हिट फिल्में दे चुके हैं. उम्र के इस पड़ाव पर भी उनके पास फिल्मों की कोई कमी नहीं है. अमिताभ की आने वाली फिल्मों की बात करें तो वह आने वाले वक्त में झुंड, साय रा नरसिम्हा रेड्डी, तेरा यार हूं मैं, बटरफ्लाई, AB यानि CD, ब्रह्मास्त्र, चेहरे और गुलाबो सिताबो में काम करते नजर आएंगे.

बता दें कि दादा साहेफ फाल्के सम्मान सिनेमा का सबसे बड़ा योगदान है और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता है. अमिताभ बच्चन से पहले ये सम्मान साल 2017 में विनोद खन्ना को मिला था. इसके अलावा साल 2015 में ये अवॉर्ड भारत कुमार के नाम से जाने जाने वाले एक्टर मनोज कुमार को मिला था. वहीं 2014 में शशि कपूर, 2013 में गुलजार और 2012 में प्राण को मिल चुका है. साल 1969 में ये सम्मान सबसे पहले देविका रानी को दिया गया था.

दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का पितामाह कहा जाता है. नासिक के यंबकेश्वर में 30 अप्रैल, 1870 को पैदा हुए फाल्के ने बंबई के सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से 1890 में स्नातक की डिग्री हासिल की थी. उसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए बड़ौदा के एम.एस. विश्वविद्यालय गए, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग, ड्राइंग, पेंटिंग, स्कल्पचर और फोटोग्राफी का अध्ययन किया.

शुरुआत में फाल्के ने गोधरा में फोटोग्राफर के रूप में काम किया. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में कुछ दिनों काम करने के बाद वो जर्मनी चले गए. 2010 में 'लाइफ ऑफ क्राइस्ट' फिल्म देखने के बाद उनकी फिल्म बनाने की इच्छा को जोर मिला और वो फिल्ममेकिंग सीखने के लिए लंदन चले गए.

वहां से भारत लौटने के बाद वो फिल्म बनाने में जुट गए और उनके प्रयास से भारत की फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 3 मई, 1913 को मराठी में रिलीज हुई.

फाल्के ने अपनी फिल्म कंपनी हिंदुस्तान फिल्म बनाई और अगले 25 साल तक करीब 95 फिल्में और 27 छोटी फिल्में बनाईं. 73 साल की उम्र में 16 फरवरी, 1944 को उनका निधन हो गया.