एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की जान लेने वाली बुलंदशहर हिंसा मामले में आरोपी जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को शनिवार देर रात सेना ने मेरठ में यूपी एसटीएफ को सौंप दिया. इसके बाद एसटीएफ ने गिरफ्तार आरोपी जीतू फौजी से बुलंदशहर के स्याना थाने में पूछताछ की. इसके बाद जीतू को बुलंदशहर की अदालत में पेश किया गया जहाँ से अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.
#BulandshahrViolence: Accused Jitu Fauji has been sent to 14 day judicial custody by a local court. (Earlier pic) pic.twitter.com/pPIHrS3sPJ
— ANI UP (@ANINewsUP) December 9, 2018
एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि आरोपी जीतू ने कबूल कर लिया है कि जब भीड़ इकट्ठा हुई तो उस वक्त वो वहां मौजूद था, हालांकि अभी ये साफ नहीं हुआ कि इंस्पेक्टर सुबोध को उसने ही गोली मारी थी या नहीं. पूछताछ में जीतू ने कहा कि वो गांववालों के साथ वहां गया था, लेकिन पुलिस पर पत्थरबाजी नहीं की थी और न ही गोली चलाई.
SSP STF: He accepted he was there when crowd started gathering. Prima facie, it has been found true. It's not yet ascertained if he is the one who shot Inspector or Sumit. He said he went there with villagers,but denied pelting stones on police.Forensic of his mobile will be done pic.twitter.com/0gGJRpxTZX
— ANI UP (@ANINewsUP) December 9, 2018
3 दिसंबर को बुलंदशहर में गोकशी विवाद से भड़की हिंसा में भीड़ ने यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस हिंसक भीड़ में जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात 22 राजपूत राइफल्स का जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी भी शामिल था. पुलिस ने फौजी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी.
हिंसा के बाद गिरफ्तार लोगों से पूछताछ और हिंसा के वीडियो खंगालने के बाद पुलिस को शक हुआ कि गोली शायद जीतू फौजी ने ही चलाई थी. जिसके बाद पुलिस ने जीतू फौजी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करवाया और यूपी एसटीएफ की दो टीम 6 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर पहुंची. बुलंदशहर में मौजूद यूपी एसटीएफ के अधिकारियों ने आर्मी के अधिकारियों से संपर्क साधा और बुलंदशहर की घटना में जितेंद्र फौजी के शामिल होने के बारे में बताया और पुलिस को हैंडओवर करने को कहा.
यूपी एसटीएफ के अधिकारियों ने बताया कि आर्मी के सीनियर अफसर से जब संपर्क किया तो उसी वक्त आर्मी के बैरक में जीतू फौजी को हिरासत में रखा गया. लेकिन आर्मी के अफसरों ने जम्मू-कश्मीर में जीतू फौजी को यूपी पुलिस को नहीं सौंपा. दरअसल, घाटी में जवानों की हत्या के बाद से सेना काफी अलर्ट है, इसलिए आर्मी के अधिकारियों ने तय किया कि अधिकारी जीतू फौजी को लेकर यूपी जाएंगे और वहीं एसटीएफ को सौंपेंगे.
8 दिसंबर की सुबह आर्मी की टीम यूपी एसटीएफ की टीम के साथ यूपी के लिए रवाना हुई और शनिवार देर रात यूपी पुलिस को सौंप दिया. जिसके बाद यूपी पुलिस ने जीतू फौजी को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस पूछताछ करेगी कि क्या वाकई इंस्पेक्टर सुबोध को जीतू ने गोली मारी थी.
बता दें कि आरोपी जितेंद्र मलिक बुलंदशहर के महाव गांव का ही रहने वाला है, और वो छुट्टी में गांव आया था. महाव गांव में ही गोवंश के अवशेष मिलने के बाद हंगामा शुरू हुआ था. हिंसा के दौरान वीडियो में जीतू भीड़ के साथ दिखाई भी दिया.
जीतू फौजी का भाई धर्मेंद्र भी पुणे में सेना में काम करता है, जीतू फौजी की खबर मीडिया में आने के बाद भाई के बचाव में बयान देते हुए कहा कि वो 19 नवंबर को एक शादी में शिरकत करने के लिए गांव आया था. 4 दिसंबर को उसकी छुट्टी खत्म हुई तो वो वापस लौट गया. गांव में 3 दिसंबर को जब गाय के अवशेष मिले तो जीतू भी भीड़ के साथ ट्रैक्टर में सवार होकर पुलिस चौकी की तरफ गया था. धर्मेंद्र ने कहा कि जीतू ने इंस्पेक्टर को गोली नहीं मारी वह दोषी नहीं है और उसे फंसाने की साजिश रची जा रही है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर में नामजद मुख्य आरोपी बजरंग दल योगेश राज अभी तक फरार है, वो जीतू का करीबी दोस्त है. वीडियो फुटेज में जीतू हिंसा की जगह पर मौजूद है जो मुख्य आरोपी योगेश राज के बगल में खड़ा दिखाई दे रहा है.