2014 के लोकसभा चुनाव में खाता खोलने में नाकाम रहने वाली मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) बैंक बैलेंस के मामले में बाकी सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों से कहीं आगे है। यह जानकारी एक आधिकारिक रिकॉर्ड से सामने आई है। 2014 लोकसभा चुनाव में भले ही बीएसपी का सूपड़ा साफ हो गया हो लेकिन नक़द कैश मामले में ये कई बड़ी पार्टियों से बहुत आगे हैं।
बीएसपी की तरफ से 25 फरवरी को चुनाव आयोग को दी गई व्यय (एक्सपेंडीचर) रिपोर्ट के मुताबिक उसके दिल्ली एनसीआर स्थित आठ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक खातों में 669 करोड़ रुपये जमा हैं।
चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के मुताबिक बीएसपी के पास 95.54 लाख रुपये कैश हैं। उधर, इसकी गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी इस मामले में दूसरे स्थान पर है और इसके पास विभिन्न बैंक खातों में 471 करोड़ रुपये हैं। पार्टी का कैश डिपॉजिट मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में हुए हालिया विधानसभा चुनाव के दौरान 11 करोड़ रुपये घट गया है।
कांग्रेस इस सूची में तीसरे स्थान पर है जिसके पास 196 करोड़ रुपये बैंक बैलेंस है। हालांकि, यह जानकारी पिछले साल 2 नवंबर को चुनाव आयोग को दी गई जानकारी पर आधारित है। पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत के बाद अपने बैलेंस को लेकर ब्यौरा अपडेट नहीं किया है।
बीजेपी इस सूची में क्षेत्रीय पार्टियों से भी पिछड़ रही है और टीडीपी के बाद पांचवें स्थान पर है। चौथे नंबर पर मौजूद तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के बैंक खातों में मौजूद राशि 107 करोड़ रुपये है। बीजेपी पांचवें स्थान पर है। पार्टी के बैंक खातों में 82 करोड़ रुपये हैं। बीजेपी का दावा है कि इसने 2017-18 में कमाए गए 1027 करोड़ में से 758 करोड़ खर्च कर दिए जो कि किसी भी पार्टी द्वारा खर्च की गई सबसे अधिक राशि है।
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का डिपॉजिट विधानसभा चुनावों के बाद नवंबर-दिसंबर के दौरान 11 करोड़ घट गया। इसके विपरीत हालिया विधानसभा चुनावों के दौरान बीएसपी ने 24 करोड़ रुपये जुटाए जिससे इसके बैंक बैलेंस में इजाफा हुआ है।
एडीआर द्वारा राजनीतिक पार्टियों के आयकर रिटर्न पर किए गए विश्लेषण के मुताबिक, बीजेपी ने 2016-17 और 2017-18 में कॉन्ट्रिब्यूशन से सबसे अधिक कमाई दिखाई थी। जिस दौरान उसने क्रमशः 1034 और 1027 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसी दौरान बीएसपी ने 174 करोड़ और 52 करोड़ जुटाए थे। कांग्रेस ने 2016-17 में 225 करोड़ रुपये की कमाई की घोषणा की थी। इसने चुनाव आयोग को अगले साल की कमाई की घोषणा नहीं की थी। इन सभी पार्टियों की 87 प्रतिशत कमाई स्वेच्छा से दिए गए दान से हुई है।