बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने विश्वास जताया है कि बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) द्वारा बीएसएफ के एक जवान के मारे जाने की घटना का प्रभाव दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह स्थिति को शांत करने के लिए अपने समकक्ष अमित शाह से बात करेंगे। खान ने कहा कि गुरुवार को बांग्लादेश के जलक्षेत्र में पकड़े गए मछुआरे को नियमों के अनुसार रिहा किया जाएगा।
उन्होंने कहा, 'सुरक्षाबलों के बीच गलतफहमी की वजह से सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के हेड कांस्टेबल विजय भान सिंह की जान चली गई। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कदम उठाए गए हैं और अगर जरूरत पड़ी तो स्थिति को शांत करने कि लिए मैं अमित शाह से बात करूंगा।' बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के एक जवान ने पश्चिम बंगाल से लगती सीमा पर फ्लैग मीटिंग के दौरान एके-47 से गोली चलाई जिसमें भान सिंह की मौत हो गई और राजवीर यादव घायल हो गए।
बीएसएफ ने एक बयान में बताया कि मुर्शिदाबाद जिले में सुबह 9 बजे यह घटना हुई। खान ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि दोनों देशों के सुरक्षाबलों के महानिदेशकों को आदर्श तौर पर साथ बैठना चाहिए और इसका समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं और यह बीएसएफ तथा बीजीबी पर भी लागू होता है। खान ने कहा, 'एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई लेकिन मुझे उम्मीद है कि दोनों ही बलों के महानिदेशक साथ में बैठेंगे और मामला सुलझाएंगे।'
उनसे जब बांग्लादेश की हिरासत में भारत के मछुआरे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'उसे छोड़ दिया जाएगा। जब मछुआरे अनजाने में एक-दूसरे के क्षेत्र में घुसते हैं तो उन्हें तय प्रक्रिया के तहत फ्लैग मीटिंग के दौरान छोड़ दिया जाता है।' खान ने यह भी कहा कि इस घटना से साल में दो बार होने वाली सुरक्षाबलों की महानिदेशक स्तर की बैठक पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बैठक दिल्ली में इस साल के अंत में होने वाली है।
उन्होंने दोहराया, 'जहां तक मेरी जानकारी है कि बीजीबी और बीएसएफ के बीच तय समयसीमा अनुसार ही बैठक होगी। अगर जरूरत पड़ी तो मैं इस मामले को सुलझाने के लिए अमित शाह से बात करूंगा। हमारा विश्वास है कि इस तरह की समस्याओं को फ्लैट मीटिंग के दौरान हल किया जाना चाहिए।' इससे पहले महानिदेशक स्तर की बातचीत इस साल जून में ढाका में आयोजित हुई थी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।