Electricity
PTI

सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने से बिजली ग्रिड की स्थिरता को लेकर जतायी जा रही आशंका को खारिज किया है। मंत्रालय का कहना है कि यह अपील घरों में थोड़े समय के लिए रोशनी बंद करके दिये आदि की रोशनी करने के लिए है और ऐसे में बाकी कामों के लिए बिजली की खपत बनी रहेगी।

बिजली मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि देश की बिजली ग्रिड व्यवस्था मजबूत है और मांग में अंतर की स्थिति से निपटने के लिये पर्याप्त उपाय किये गये हैं। बिजली सचिव संजीव नंद सहाय ने प्रधानमंत्री की अपील के बारे में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों/बिजली सचसचिव को पत्र लिखा है।

इसमें कहा गया है, ''....नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने उस दौरान ग्रिड के संतुलन के लिये उपाय किये हैं और वे इस बारे में रिजनल और राज्य लोड डिस्पैच सेंटरों को अलग से सूचना दे रहे हैं।''

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संदेश में पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने और दीया जलाकर, टार्च या मोबाइल से रोशनी करने की अपील की।

Modi on Corona
Twitter / @ANI

इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की 'लाइट बंद' करने की अपील का विरोध किया है। जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा है, ''....पांच अप्रैल को रात नौ बजे से नौ मनिट के लिये लाइट बंद करने के आह्वान का ग्रिड और उसके परिचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। मुझे उम्मीद है कि इसका समुचित रूप से ध्यान रखा जाएगा।''

इस बात को लेकर चिंता है कि देश में 'लॉकडाउन ' के कारण बिजली की मांग पहले से कम है, ऐसे में अचानक खपत 'गिर जाने' होने से क्या ग्रिड स्थिर रह सकता है? या नौ मिनट बाद मांग एकदम बढने से 'ब्लैकआउट' (बिद्युत प्रवाह ठप होने) की स्थिति की आशंका नहीं है?

मंत्रालय के अनुसार, ''प्रधानमंत्री ने केवल पांच अप्रैल को अपने घरों में लाइट यानी बल्ब और ट्यूबलाइट रात नौ बजे से 9.09 तक करने को कहा है। इसमें स्ट्रीट लाइट या कंप्यूटर, टीवी, पंखे, रेफ्रिजरेटर और एसी बंद करने कोई आह्वान नहीं किया गया है। केवल लाइट बंद रहेंगी। अस्पतालों, पुलिस स्टेशन, विनिर्माण इकाइयों आदि जैसे जरूरी जगहों पर लाइट पहले की तरह जलती रहेंगी। प्रधानमंत्री ने केवल घरों में बल्ब और ट्यूबलाइट बंद करने को कहा है। सभी स्थानीय निकायों को लोगों की सुरक्षा के लिये सड़कों पर जलने वाली लाइट जलाये रखने को कहा गया है।"

इस बीच, राज्य लोड डिस्पैच सेंटर और बिजली पारेषण कंपनियां ग्रिड की स्थिरता को लेकर काम कर रही हैं। कंपनियों ने इससे किसी प्रकार की समस्या नहीं आने को लेकर भरोसा जताया है।

बिजली मंत्रालय के एक सूत्र के अनुसार, ''आपदा के समय भी उतार-चढ़ाव को ग्रिड झेलती है और स्थिर रहती है। और ये स्थिति तो पहले से पता है। ऐसे में पावर ग्रिड और दूसरी एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं और उन्हें ग्रिड को स्थिर बनाये रखने का पूरा भरोसा है।''

उधर, उत्तर प्रदेश के स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) ने राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों से बिजली मांग में अचानक से कमी से निपटने के लिये कदम उठाने को कहा है। इसी प्रकार का निर्देश तमिलनाडु ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने अपने कार्यकारियों को दिये पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री के आह्वान को देखते हुए पर्पाप्त संख्या मे कर्मचारी की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

इस बीच, एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री इस अपील से बिजली की मांग में रविवार को 10,000 से 12,000 मेगावाट की कमी आ सकती है। इसका राष्ट्रीय पावर ग्रिड की स्थिरता पर र्को असर नहीं पड़ेगा।

अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि देश में 'बत्तियां बंद ' हो रही है। 'अर्थ आवर' जैसी पहल में इस प्रकार के कदम उठाये गये हैं। देश में 2012 में तकनीकी कारणों से ग्रिड ठप हुआ था। हालांकि भारत में इस समय में मजबूत पारेषण नेटवर्क है जो बिजली मांग में उतार-चढ़ाव से निपटने में सक्षम है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.